पहले की दो शिक्षा नीतियां – 1968 और 1986 स्वतंत्रता समय से अस्तित्व में है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय शिक्षा प्रणाली में कई बदलाव लाने के उद्देश्य से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 को मंजूरी दी है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 वैचारिक समझ और शैक्षिक परिणामों में सुधार पर जोर देती है ताकि बच्चे अर्जित ज्ञान और कौशल को वास्तविक जीवन में लागू कर सकें। परीक्षार्थी याद किए गए ज्ञान और तथ्यों के बजाय शिक्षार्थियों की मुख्य दक्षताओं का परीक्षण करने के लिए अधिक केंद्रित होंगे।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 वैचारिक समझ अर्थात समप्रत्ययीय समक्ष पर जोर देती है।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जारी की गई नई शिक्षा नीति के अंतर्गत स्कूली शिक्षा में बड़े बदलाव किए गए हैं। नई शिक्षा नीति में 10+2 के फार्मेट को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। अब इसे 10+2 से बांटकर 5+3+3+4 फार्मेट में ढाला गया है। इसका मतलब है कि अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा 1 और कक्षा 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे। फिर अगले तीन साल को कक्षा 3 से 5 की तैयारी के चरण में विभाजित किया जाएगा। इसके बाद में 3 साल मध्य चरण (कक्षा 6 से 8) और माध्यमिक अवस्था के चार वर्ष (कक्षा 9 से 12)। इसके अलावा स्कूलों में कला, वाणिज्य, विज्ञान स्ट्रीम का कोई कठोर पालन नहीं होगा, छात्र अब जो भी पाठ्यक्रम चाहें, वो ले सकते हैं।
ग्रेजुएशन की डिग्री 3 या 4 साल में पूरी होगी
नई शिक्षा नीति में संगीत, दर्शन, कला, नृत्य, रंगमंच, उच्च संस्थानों की शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल होंगे। स्नातक की डिग्री 3 या 4 साल की अवधि की होगी। एकेडमी बैंक ऑफ क्रेडिट बनेगी, छात्रों के परफॉर्मेंस का डिजिटल रिकॉर्ड इकट्ठा किया जाएगा। 2050 तक स्कूल और उच्च शिक्षा प्रणाली के माध्यम से कम से कम 50 फीसदी शिक्षार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा में शामिल होना होगा। गुणवत्ता योग्यता अनुसंधान के लिए एक नया राष्ट्रीय शोध संस्थान बनेगा, इसका संबंध देश के सारे विश्वविद्यालय से होगा।
1986 में तैयार हुई थी वर्तमान शिक्षा नीति
बता दें कि वर्तमान शिक्षा नीति 1986 में तैयार की गई थी और इसे 1992 में संशोधित किया गया था। नई शिक्षा नीति का विषय भारतीय जनता पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किया था। मसौदा तैयार करने वाले विशेषज्ञों ने पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रमण्यम के नेतृत्व वाली समिति द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट पर भी विचार किया। इस समिति का गठन मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने तब किया था जब मंत्रालय का जिम्मा स्मृति ईरानी के पास था।