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दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।
असल और बनावटी में अंतर धुँधलाने के कारण सेवाएँ या कुछ भी देने के लिए सुपात्र का चयन आजकल चुनौतीपूर्ण है। इसके लिए विशेष सूझ-बूझ और विवेकशीलता आवश्यक हैं। उपलब्धि या सफलता स्वयं में लक्ष्य नहीं हो सकती बल्कि व्यक्ति के सतत् निवेशों का स्वाभाविक प्रतिफल होती है। मन और निष्ठा से निष्पादित कार्य में व्यक्ति के समूचे कौशल प्रयुक्त होते हैं और उसमें समाज को देने का भाव प्रधान रहता है। लेन-देन में निष्ठा का नियम आशीर्वाद के आदान-प्रदान में भी लागू होता है। अनेक व्यक्ति उन बुजुर्गों से आशीर्वाद पाना अपना अधिकार समझते है जिनकी सुध लेना तो दूर, जिन्हें हेय मानते हुए उनसे सदा दूरी बनाए रखी हो। आशीर्वाद तो बड़ी बात हुई, एक तुच्छ-सी चीज़ आपको यूँ ही कोई क्यों देगा। आशीर्वाद बर्गर या सिमकार्ड सी भौतिक बाज़ार में सहज उपलब्ध होने वाली वस्तु नहीं है। उसे दिल से सम्मान देना होगा। देने वाला आप की मंशाओं और फ़ितरत को समझता है। आप भले ही कुछ न दे, यह भी आवश्यक नहीं कि उसके सानिध्य में रहें। पर उसके विचारों, भावनाओं को श्रेष्ठ समझते हुए वैसा करने का यत्न करेंगे तो वह हृदय से आप पर आशीर्वाद बरसाएगा और आप धन्य हो जाएँगे।
असल और बनावटी में अंतर धुँधलाने के कारण सेवाएँ या कुछ भी देने के लिए सुपात्र का चयन आजकल चुनौतीपूर्ण है। इसके लिए विशेष सूझ-बूझ और विवेकशीलता आवश्यक हैं। उपलब्धि या सफलता स्वयं में लक्ष्य नहीं हो सकती बल्कि व्यक्ति के सतत् निवेशों का स्वाभाविक प्रतिफल होती है। मन और निष्ठा से निष्पादित कार्य में व्यक्ति के समूचे कौशल प्रयुक्त होते हैं और उसमें समाज को देने का भाव प्रधान रहता है। लेन-देन में निष्ठा का नियम आशीर्वाद के आदान-प्रदान में भी लागू होता है। अनेक व्यक्ति उन बुजुर्गों से आशीर्वाद पाना अपना अधिकार समझते है जिनकी सुध लेना तो दूर, जिन्हें हेय मानते हुए उनसे सदा दूरी बनाए रखी हो। आशीर्वाद तो बड़ी बात हुई, एक तुच्छ-सी चीज़ आपको यूँ ही कोई क्यों देगा। आशीर्वाद बर्गर या सिमकार्ड सी भौतिक बाज़ार में सहज उपलब्ध होने वाली वस्तु नहीं है। उसे दिल से सम्मान देना होगा। देने वाला आप की मंशाओं और फ़ितरत को समझता है। आप भले ही कुछ न दे, यह भी आवश्यक नहीं कि उसके सानिध्य में रहें। पर उसके विचारों, भावनाओं को श्रेष्ठ समझते हुए वैसा करने का यत्न करेंगे तो वह हृदय से आप पर आशीर्वाद बरसाएगा और आप धन्य हो जाएँगे।
93. “उपलब्धि या सफलता व्यक्ति के सतत निवेशों का स्वाभाविक प्रतिफल होती है।” का क्या तात्पर्य है?
1. व्यक्ति द्वारा धन निवेश करके उपलब्धि तथा सफलता प्राप्त होती है।
2. व्यक्ति द्वारा किये गए निरंतर प्रयासों से उपलब्धि या सफलता प्राप्त होती है।
3. व्यक्ति द्वारा किये गए निरंतर प्रयासों से सफलता या उपलब्धि प्राप्त नहीं होती है।
4. व्यक्ति द्वारा प्रयास न किये जाने के बावजूद उपलब्धि या सफलता अवश्य प्राप्त होती है।
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Answer – (2)