140. द्वयो: मित्रयोर्मध्ये वार्तालापं पठत तथा वार्तालापस्य उद्देश्यं जानत। राहुल: – हा! त्वं कीदृशोऽसि ? अहं राहुलोऽस्मि। शीला – हा! अहं समीचीना अस्मि। त्वं कीदृशोऽसि। राहुल:- अहमति सुष्ठु अस्मि। अहं स्वविद्यालये तव स्वागतं करोमि। शीला – अहं प्रसन्ना अस्मि तथा अत्रागत्य प्रोत्साहिता अस्मि।
1. व्यक्तिगतम् संभाषणम्
2. सूचनात्मकं उद्देश्यम्
3. व्यवहारीयं उद्देश्यम्
4. परस्परं सम्पर्कीयम् उद्देश्यम्
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Answer – (4)
दो मित्र आपस में वार्तालाप करते हुए पढ़ते हैं, इस वार्तालाप करने की क्रिया का उद्देश्य भाषा में वार्तालाप करने की सामथ्र्यता छात्रों में प्राप्त हो। राहुल:- हा! (प्रसन्नता का सूचक शब्द) तुम कैसी हो? मैं राहुल हूँ। शीला- हा! मैं ठीक हूँ। तुम कैसे हो? राहुल:- मैं भी ठीक हूँ। मैं अपने विद्यालय में तुम्हारा स्वागत करता हूँ। शीला- मैं प्रसन्न हूँ, और यहाँ आकर उत्साहित हूँ। इस क्रिया में बालक आपस में वार्तालाप या बातचीत के द्वारा समाज में परस्पर सम्पर्क कायम करने का एक बहुपक्षीय और स्वाभाविक माध्यम है। इससे छात्र अपने विचारों का आदान-प्रदान करते हैं।
दो मित्र आपस में वार्तालाप करते हुए पढ़ते हैं, इस वार्तालाप करने की क्रिया का उद्देश्य भाषा में वार्तालाप करने की सामथ्र्यता छात्रों में प्राप्त हो। राहुल:- हा! (प्रसन्नता का सूचक शब्द) तुम कैसी हो? मैं राहुल हूँ। शीला- हा! मैं ठीक हूँ। तुम कैसे हो? राहुल:- मैं भी ठीक हूँ। मैं अपने विद्यालय में तुम्हारा स्वागत करता हूँ। शीला- मैं प्रसन्न हूँ, और यहाँ आकर उत्साहित हूँ। इस क्रिया में बालक आपस में वार्तालाप या बातचीत के द्वारा समाज में परस्पर सम्पर्क कायम करने का एक बहुपक्षीय और स्वाभाविक माध्यम है। इससे छात्र अपने विचारों का आदान-प्रदान करते हैं।