142. अष्टमीकक्षाया: अध्यापक: रॉयकुमार: वाच्यानि, च अध्यापयितुं व्याकरणपाठस्य योजनां निर्माति। स सर्वप्रथमं छात्रान् कथां/पाठं पठितुं प्र्रेरयति यत्र कर्तृवाच्यस्य कर्मवाच्यस्य च रूपाणि बहुलतया प्रयुज्यन्ते। स अन्यै: उदाहरणै: सह एकस्मिन् वाक्ये तेषां विषये विमर्शं करोति तदा स तेषाम् प्रयोगान् प्रति छात्राणां ध्यानं आकर्षयति। इयं पद्धति: का कथ्यते ?
1. वर्तमान-अभ्यास-उत्पाद:
2. कर्तृवाच्यम् तथा कर्मवाच्यम्
3. चेतना-उत्तेजनम्
4. परीक्षामाध्यमेन व्याकरणम्
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Answer – (3)
आठवीं कक्षा में अध्यापक राय कुमार वाच्यों और लकारों को पढ़ाने के लिए योजना का निर्माण करते हैं। वे सर्वप्रथम छात्रों को कहानी/पाठ को पढ़ने के लिए प्रेरित करते हुए, जहाँ पर कर्तृवाच्य और शब्द रूपों का प्रयोग अधिक हो। उन उदाहरणों की सहायता से उस विषय पर विचार-विमर्श करते हुए एवं उसका प्रयोग के प्रति छात्रों का ध्यान आकर्षित करते हैं। ये पद्धति (चेतना- उत्तेजना) कही जाती है। इस पद्धति के माध्यम से बालकों में कर्तृवाच्य से बने शब्दों का ज्ञान और विचार विमर्श को करने का अवसर मिलेगा तथा छात्र अपने विषय के प्रति ध्यान देने के लिए प्रेरित होंगे।
आठवीं कक्षा में अध्यापक राय कुमार वाच्यों और लकारों को पढ़ाने के लिए योजना का निर्माण करते हैं। वे सर्वप्रथम छात्रों को कहानी/पाठ को पढ़ने के लिए प्रेरित करते हुए, जहाँ पर कर्तृवाच्य और शब्द रूपों का प्रयोग अधिक हो। उन उदाहरणों की सहायता से उस विषय पर विचार-विमर्श करते हुए एवं उसका प्रयोग के प्रति छात्रों का ध्यान आकर्षित करते हैं। ये पद्धति (चेतना- उत्तेजना) कही जाती है। इस पद्धति के माध्यम से बालकों में कर्तृवाच्य से बने शब्दों का ज्ञान और विचार विमर्श को करने का अवसर मिलेगा तथा छात्र अपने विषय के प्रति ध्यान देने के लिए प्रेरित होंगे।