145. निम्नलिखितेषु किं काव्यपाठनस्य उद्देश्यं न भवति ?
1. काव्यसमीक्षा एवं मनोरञ्जनम्।
2. व्याकरणशिक्षणम् शब्दनिर्माणम्।
3. सामाजिक-सांस्कृतिकपक्षाणाम् ज्ञानम्।
4. काव्यसमीक्षातत्त्वानां ज्ञानम्।
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Answer – (2)
उपर्युक्त में से काव्यपाठन (काव्य को पढ़ने) का उद्देश्य व्याकरण शिक्षण तथा शब्द निर्माण नहीं होता है। बल्कि काव्य पढ़ने का उद्देश्य काव्य में निहित (रस, छन्द और अलंकार) का ज्ञान, सामाजिक-सांस्कृतिक पक्षों का ज्ञान तथा काव्य समीक्षा एवं मनोरंजन को प्राप्त करना ही काव्य का उद्देश्य रहता है। कविता हृदय की वस्तु तथा अनुभूति की अभिव्यक्ति है। सौन्दर्यानुभूति करने के लिए आवश्यक है। सौन्दर्यानूभूति करने के लिए आवश्यक है कि विद्यार्थी पहले कविता का अर्थ समझे, तत्पश्चात ही वह काव्य द्वारा परमानन्द की प्राप्ति कर सके।
उपर्युक्त में से काव्यपाठन (काव्य को पढ़ने) का उद्देश्य व्याकरण शिक्षण तथा शब्द निर्माण नहीं होता है। बल्कि काव्य पढ़ने का उद्देश्य काव्य में निहित (रस, छन्द और अलंकार) का ज्ञान, सामाजिक-सांस्कृतिक पक्षों का ज्ञान तथा काव्य समीक्षा एवं मनोरंजन को प्राप्त करना ही काव्य का उद्देश्य रहता है। कविता हृदय की वस्तु तथा अनुभूति की अभिव्यक्ति है। सौन्दर्यानुभूति करने के लिए आवश्यक है। सौन्दर्यानूभूति करने के लिए आवश्यक है कि विद्यार्थी पहले कविता का अर्थ समझे, तत्पश्चात ही वह काव्य द्वारा परमानन्द की प्राप्ति कर सके।