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निर्देश – नीचे दिए गए गद्यांश ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।
प्रकृति का विधान है, दिए बिना कुछ नहीं मिलेगा और देने की प्रवृत्ति हो तो उपलब्धियाँ और सफलताएँ कदम चूमेंगी। उपलब्धियाँ और सम्मान व्यक्ति को विशिष्ट पहचान दिलाते हैं जो उसके सुचारु जीवन के लिए अपरिहार्य है। उसे अभिशप्त कहा जाएगा जिसकी शख्सियत को कहीं भाव नहीं दिया जाता। ऐसा व्यक्ति कालांतर में समाज ही नहीं, स्वय पर बोझ बन जाएगा फिर भी एक स्वतंत्र अस्मिता बतौर व्यक्ति तभी उभरेगा जब उसने दूसरों की बेहतरी की ठान रखी हो यानी उसमें देने का भाव मुखर हो। उपलब्धि के प्रकरण में ‘देने’ का स्थान ‘लेने’ से उच्चतर और गरिमापूर्ण है। लेकिन स्मरण रहे, शुरुआत देने से होगी और पहल आपको करनी है। देने का परिक्षेत्र धन या भौतिक वस्तुएँ प्रदान करने से कहीं परे है। बीमारी, शोक या दुष्कर परिस्थिति से त्रस्त परिजन की व्यथा धैर्य से सुनने मात्र से आप उसे राहत पहुँचाते हैं। कुछ प्रसंगों में अपनी उपस्थिति मात्र तो कुछ में दूसरों के अंतरंग सरोकारों में सक्रिय भागीदारी से उनके लिए संबल बनते हैं।
प्रकृति का विधान है, दिए बिना कुछ नहीं मिलेगा और देने की प्रवृत्ति हो तो उपलब्धियाँ और सफलताएँ कदम चूमेंगी। उपलब्धियाँ और सम्मान व्यक्ति को विशिष्ट पहचान दिलाते हैं जो उसके सुचारु जीवन के लिए अपरिहार्य है। उसे अभिशप्त कहा जाएगा जिसकी शख्सियत को कहीं भाव नहीं दिया जाता। ऐसा व्यक्ति कालांतर में समाज ही नहीं, स्वय पर बोझ बन जाएगा फिर भी एक स्वतंत्र अस्मिता बतौर व्यक्ति तभी उभरेगा जब उसने दूसरों की बेहतरी की ठान रखी हो यानी उसमें देने का भाव मुखर हो। उपलब्धि के प्रकरण में ‘देने’ का स्थान ‘लेने’ से उच्चतर और गरिमापूर्ण है। लेकिन स्मरण रहे, शुरुआत देने से होगी और पहल आपको करनी है। देने का परिक्षेत्र धन या भौतिक वस्तुएँ प्रदान करने से कहीं परे है। बीमारी, शोक या दुष्कर परिस्थिति से त्रस्त परिजन की व्यथा धैर्य से सुनने मात्र से आप उसे राहत पहुँचाते हैं। कुछ प्रसंगों में अपनी उपस्थिति मात्र तो कुछ में दूसरों के अंतरंग सरोकारों में सक्रिय भागीदारी से उनके लिए संबल बनते हैं।
98. ‘प्रवृत्ति’ शब्द में उपसर्ग है-
1. त्ति
2. वृत्ति
3. प्र
4. इ
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Answer – (3)