139. शैरली माध्यमिकस्तरस्य आङ्ग्लभाषाया: शिक्षिका अस्ति। सा स्वछात्रान् षड्वाक्यानां पाठं द्विवारं श्रोतुं कथयति। तदा सा तान् पाठस्य सारं पञ्च, षड् वाक्येषु लेखितुम् कथयति। वाक्यानि अक्षरश: मूलपाठवद् न स्यु:। इदं किम् कथ्यते ?
1. श्रुतलेख:
2. वाक्यश्रुतलेख:
3. अनुच्छेद-श्रुतलेख
4. व्याकरण-श्रुतलेख:
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Answer – (3)
शैरली नामक शिक्षिका अपने छात्रों को अंग्रेजी भाषा में पाठ के छ: वाक्यों को सुनाने के लिए कहती है तथा इसके बाद पाठ के सार को पाँच छ: वाक्यों को लिखने के लिए कहती है। यह क्रिया अनुच्छेद-श्रुतलेख के अन्तर्गत आता है। किसी सामग्री को देखकर उसका अनुकरण करना ही अनुलेख होता है। श्रुतलेख वह कौशल है, जिसमें किसी सामग्री को सुनकर उसका लेखन कार्य किया जाता है। इन तीनों तत्वों का लेखन कौशल में बेहद महत्त्व है। सुनकर लेखन से जहाँ अपनी छात्र लिखावट को सुन्दर बनाने की क्रिया करते हैं। वहीं पर यह सुगमता से पाठ्य विषय को भी पढ़ने में सहायक सिद्ध होती है। इससे छात्र वर्णों को ठीक-ठाक लिखना, लेखन का अभ्यास करना, शुद्ध अक्षर विन्यास का ज्ञान तथा वाक्य रचना के नियमों से परिचित हो जाते हैं।
शैरली नामक शिक्षिका अपने छात्रों को अंग्रेजी भाषा में पाठ के छ: वाक्यों को सुनाने के लिए कहती है तथा इसके बाद पाठ के सार को पाँच छ: वाक्यों को लिखने के लिए कहती है। यह क्रिया अनुच्छेद-श्रुतलेख के अन्तर्गत आता है। किसी सामग्री को देखकर उसका अनुकरण करना ही अनुलेख होता है। श्रुतलेख वह कौशल है, जिसमें किसी सामग्री को सुनकर उसका लेखन कार्य किया जाता है। इन तीनों तत्वों का लेखन कौशल में बेहद महत्त्व है। सुनकर लेखन से जहाँ अपनी छात्र लिखावट को सुन्दर बनाने की क्रिया करते हैं। वहीं पर यह सुगमता से पाठ्य विषय को भी पढ़ने में सहायक सिद्ध होती है। इससे छात्र वर्णों को ठीक-ठाक लिखना, लेखन का अभ्यास करना, शुद्ध अक्षर विन्यास का ज्ञान तथा वाक्य रचना के नियमों से परिचित हो जाते हैं।