147. व्याकरण शिक्षणस्य विषये किं कथनं सत्यम् ?
1. छात्र शब्दरूपात् अर्थं प्रति गच्छति।
2. प्रथमं व्याकरणनियमा: शिक्षितव्या:।
3. छात्र: अर्थात् प्रयोगाच्च शब्दरूपं प्रति गच्छति।
4. व्याकरणशिक्षणम् वस्तुविषयस्य शिक्षणस्य समानं भवति।
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Answer – (3)
व्याकरण शिक्षण में विषय के छात्र द्वारा शब्द रूप के प्रयोग करने की योग्यता का होना सत्य कथन है। जबकि अन्य विकल्प असत्य है। व्याकरण वह शास्त्र है जिसके द्वारा किसी भाषा के शब्दों और वाक्यों के शुद्ध स्वरूपों एवं शुद्ध प्रयोगों का विशद ज्ञान कराया जाता है। कोई भी छात्र शुद्ध भाषा का पूर्ण ज्ञान व्याकरण के बिना नहीं प्राप्त कर सकता। संज्ञा, सर्वनाम आदि शब्दों को पद बनाने हेतु इनमें प्रथमा, द्वितीया आदि विभक्तियाँ लगाई जाती है। इन शब्द रूपों (पदों) का प्रयोग (पुल्लिङ्ग, स्त्रीलिङ्ग और नपुंसकलिङ्ग तथा एकवचन, द्विवचन और बहुवचन में भिन्न-भिन्न रूपों में ) होता है।
व्याकरण शिक्षण में विषय के छात्र द्वारा शब्द रूप के प्रयोग करने की योग्यता का होना सत्य कथन है। जबकि अन्य विकल्प असत्य है। व्याकरण वह शास्त्र है जिसके द्वारा किसी भाषा के शब्दों और वाक्यों के शुद्ध स्वरूपों एवं शुद्ध प्रयोगों का विशद ज्ञान कराया जाता है। कोई भी छात्र शुद्ध भाषा का पूर्ण ज्ञान व्याकरण के बिना नहीं प्राप्त कर सकता। संज्ञा, सर्वनाम आदि शब्दों को पद बनाने हेतु इनमें प्रथमा, द्वितीया आदि विभक्तियाँ लगाई जाती है। इन शब्द रूपों (पदों) का प्रयोग (पुल्लिङ्ग, स्त्रीलिङ्ग और नपुंसकलिङ्ग तथा एकवचन, द्विवचन और बहुवचन में भिन्न-भिन्न रूपों में ) होता है।