150. काव्यस्य प्रयोजनमस्ति-
1. व्याकरणशिक्षणम्
2. शब्दभाण्डार:
3. मनोरञ्जनं समीक्षा च
4. लेखनम् तथा तर्कपूर्णम्
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Answer – (3)
काव्य प्रयोजन का तात्पर्य है कि काव्य का उद्देश्य अथवा रचना की आन्तरिक पे्ररणा शक्ति। काव्य के आधार पर हमें जो प्राप्त होता है, उसे ही साहित्य की भाषा में प्रयोजन कहा जाता है। आनन्द प्राप्ति (मनोरञ्जन) काव्य का प्रमुख प्रयोजन होता है, जिसे रसानुभूति से प्राप्त किया जाता है। इस क्रिया के द्वारा छात्रों में काव्य में निहित (रस, छन्द और अलंकार) को पहचानने में सुगमता होती है।
काव्य प्रयोजन का तात्पर्य है कि काव्य का उद्देश्य अथवा रचना की आन्तरिक पे्ररणा शक्ति। काव्य के आधार पर हमें जो प्राप्त होता है, उसे ही साहित्य की भाषा में प्रयोजन कहा जाता है। आनन्द प्राप्ति (मनोरञ्जन) काव्य का प्रमुख प्रयोजन होता है, जिसे रसानुभूति से प्राप्त किया जाता है। इस क्रिया के द्वारा छात्रों में काव्य में निहित (रस, छन्द और अलंकार) को पहचानने में सुगमता होती है।