144. प्रामाणिकं पाठ्यं (Text) अस्ति–
1. तत् पाठ्यं/कथनं यत् पाठ्यपुस्तकलेखकै: लिखितम्।
2. संदर्भानुसारं मौलिकपाठ्यम्।
3. मौलिकपाठात् पूर्णतया परिवर्तितं संशोधितं च।
4. दत्तकार्यरूपेण छात्रै:, कथाभि:, चित्रैश्च अलङ्कृतम्।
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Answer – (2)
संदर्भ के अनुसार प्रामाणिक पाठ्य ही मौलिक पाठ्य है। शिक्षण प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए पाठ्यक्रम की बहुत ही महत्वपूर्ण आवश्यकता मानी गयी है। इसके बिना शिक्षण प्रक्रिया को सफल नहीं बनाया जा सकता है। पाठ्यक्रम ऐसा साधन है जिसके द्वारा विद्यार्थी का सम्पूर्ण विकास सम्भव है। समय और परिस्थितियों के अनुसार पाठ्यक्रम में भी विकास होना चाहिए ताकि विद्यार्थी पाठ्यक्रम के द्वारा केवल विषय का ज्ञान न प्राप्त करके उसके साथ वर्तमान तथा भविष्य की समस्याओं से भी अवगत हो।
संदर्भ के अनुसार प्रामाणिक पाठ्य ही मौलिक पाठ्य है। शिक्षण प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए पाठ्यक्रम की बहुत ही महत्वपूर्ण आवश्यकता मानी गयी है। इसके बिना शिक्षण प्रक्रिया को सफल नहीं बनाया जा सकता है। पाठ्यक्रम ऐसा साधन है जिसके द्वारा विद्यार्थी का सम्पूर्ण विकास सम्भव है। समय और परिस्थितियों के अनुसार पाठ्यक्रम में भी विकास होना चाहिए ताकि विद्यार्थी पाठ्यक्रम के द्वारा केवल विषय का ज्ञान न प्राप्त करके उसके साथ वर्तमान तथा भविष्य की समस्याओं से भी अवगत हो।