145. मूल-अन्तरवैयक्तिकसंप्रेषणकौशलम् अस्ति–(BICS)
1. सूक्ष्म (Abstract) विचाराणां सम्प्रेषणार्थं भाषा।
2. युवछात्रै: संवादार्थं भाषा।
3. अत्रैव-अधुनैव (तात्कालिक)
4. संवादयोग्या भाषाशिक्षणम्।
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Answer – (3)
मूल-अन्तरवैयक्तिकसंप्रेषणकौशलम् तात्कालिक रूपों में है। सुनने की योग्यता एवं तदनुभूति की क्षमता, दूसरों की संस्कृति के प्रति सम्मान, अभिरूचि की भावना, इच्छाओं तथा भय के समझने का खुलापन और सकारात्मक भावना इन कौशलों को वाचिक रूप से व्यक्त किया जा सकता है। ये सभी छात्र के जीवन में विशेष भूमिका निभाते हैं।
मूल-अन्तरवैयक्तिकसंप्रेषणकौशलम् तात्कालिक रूपों में है। सुनने की योग्यता एवं तदनुभूति की क्षमता, दूसरों की संस्कृति के प्रति सम्मान, अभिरूचि की भावना, इच्छाओं तथा भय के समझने का खुलापन और सकारात्मक भावना इन कौशलों को वाचिक रूप से व्यक्त किया जा सकता है। ये सभी छात्र के जीवन में विशेष भूमिका निभाते हैं।