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निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए :
सब प्रांतों के उग्र और उदार देशभक्त, क्रांतिकारी और देश-विदेश के धुरंधर लोग, संवाददाता आदि गांधीजी को पत्र लिखते और गांधीजी ‘यंग इंडिया’ के कॉलमों में उनकी चर्चा किया करते। महादेव गांधी जी की यात्राओं के और प्रतिदिन की उनकी गतिविधियों के साप्ताहिक विवरण भेजा करते। इसके अलावा महादेव, देश विदेश के अग्रगण्य समाचार पत्र, जो आँखों में तेल डालकर गांधी की प्रतिदिन की गतिविधियों को देखा करते थे और उन पर बराबर टीका टिप्पणी करते रहते थे उनको आड़े हाथ लेने वाले लेख भी समय-समय पर लिखा करते थे। बेजोड़ कॉलम, भरपूर चौकसाई, ऊंचे से ऊंचे ब्रिटिश समाचार पत्रों की परंपराओं को अपनाकर चलने का गांधीजी का आग्रह और कट्टर से कट्टर विरोधियों के साथ भी पूरी-पूरी सत्यनिष्ठा में से उत्पन्न होने वाली विनय विवेक युक्त विवाद करने की गांधी जी की तालीम इन सब गुणों ने तीव्र मतभेदों और विरोधी प्रचार के बीच भी देश-विदेश के सारे समाचार पत्रों की दुनिया में और एंग्लो-इंडियन समाचार पत्रों के बीच भी व्यक्तिगत रूप से एम.डी. को सबका लाडला बना दिया था।
गाँधीजी के पास आने से पहले अपनी विद्यार्थी अवस्था में महादेव ने सरकार के अनुवाद विभाग में नौकरी की थी। नरहरि भाई उनके जिगरी दोस्त थे। दोनों एक साथ वकालत पढ़े थे। दोनों ने अहमदाबाद में वकालत भी साथ-साथ ही शुरू की थी। इस पेशे में आमतौर पर स्याह को सफ़ेद और सफ़ेद को स्याह करना होता है। साहित्य व संस्कार के साथ इनका कोई संबंध नहीं रहता। लेकिन इन दोनों ने तो उसी समय से टैगोर, शरतचन्द्र आदि के साहित्य को उलटना-पुलटना शुरू कर दिया था। चित्रांगदा कच-देवयानी की कथा पर टैगोर द्वारा रचित ‘विदाई का अभिशाप’ शीर्षक नाटिका, शरत बाबू की कहानियाँ आदि अनुवाद उस समय की उनकी साहित्यिक गतिविधियों की देन है।
सब प्रांतों के उग्र और उदार देशभक्त, क्रांतिकारी और देश-विदेश के धुरंधर लोग, संवाददाता आदि गांधीजी को पत्र लिखते और गांधीजी ‘यंग इंडिया’ के कॉलमों में उनकी चर्चा किया करते। महादेव गांधी जी की यात्राओं के और प्रतिदिन की उनकी गतिविधियों के साप्ताहिक विवरण भेजा करते। इसके अलावा महादेव, देश विदेश के अग्रगण्य समाचार पत्र, जो आँखों में तेल डालकर गांधी की प्रतिदिन की गतिविधियों को देखा करते थे और उन पर बराबर टीका टिप्पणी करते रहते थे उनको आड़े हाथ लेने वाले लेख भी समय-समय पर लिखा करते थे। बेजोड़ कॉलम, भरपूर चौकसाई, ऊंचे से ऊंचे ब्रिटिश समाचार पत्रों की परंपराओं को अपनाकर चलने का गांधीजी का आग्रह और कट्टर से कट्टर विरोधियों के साथ भी पूरी-पूरी सत्यनिष्ठा में से उत्पन्न होने वाली विनय विवेक युक्त विवाद करने की गांधी जी की तालीम इन सब गुणों ने तीव्र मतभेदों और विरोधी प्रचार के बीच भी देश-विदेश के सारे समाचार पत्रों की दुनिया में और एंग्लो-इंडियन समाचार पत्रों के बीच भी व्यक्तिगत रूप से एम.डी. को सबका लाडला बना दिया था।
गाँधीजी के पास आने से पहले अपनी विद्यार्थी अवस्था में महादेव ने सरकार के अनुवाद विभाग में नौकरी की थी। नरहरि भाई उनके जिगरी दोस्त थे। दोनों एक साथ वकालत पढ़े थे। दोनों ने अहमदाबाद में वकालत भी साथ-साथ ही शुरू की थी। इस पेशे में आमतौर पर स्याह को सफ़ेद और सफ़ेद को स्याह करना होता है। साहित्य व संस्कार के साथ इनका कोई संबंध नहीं रहता। लेकिन इन दोनों ने तो उसी समय से टैगोर, शरतचन्द्र आदि के साहित्य को उलटना-पुलटना शुरू कर दिया था। चित्रांगदा कच-देवयानी की कथा पर टैगोर द्वारा रचित ‘विदाई का अभिशाप’ शीर्षक नाटिका, शरत बाबू की कहानियाँ आदि अनुवाद उस समय की उनकी साहित्यिक गतिविधियों की देन है।
98. ‘रामनामी पंथ‘ के अनुयायी किस रंग का ‘गोदना‘ अंकित करवाते हैं?
(1) गेरूआ
(2) केसरिया
(3) गहरा काला
(4) नीला
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Answer – (3)
नोट- उपर्युक्त गद्यांश के सभी प्रश्न (91-99) गद्यांश से मेल नहीं खाते / आयोग द्वारा इन सभी प्रश्नों के समान अंक प्रदान किये गये हैं।
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