28. बहुधा ‘कुंभकार और कुंभ’ का एक रूपक उपयुक्त किया जाता है। जिसके द्वारा यह दर्शाया जाता है कि कैसे परंपरागत शिक्षा शिक्षक को कुंभकार के रूप में देखती है जो कंुभ रूपी विद्यार्थी को आकार देकर उसमें ज्ञान उड़ेलता है। इस प्रकार की समझ समस्यावादी क्यों है?
1. विद्यार्थियों के महत्वपूर्ण अनुभव होते हैं और अधिगम का निर्णय उनकी शिक्षक एवं समकालीन साथियों के साथ सक्रिय भागीदारी से होता है।
2. बच्चे भोले भाले हैं और वे कुछ भी शिक्षक की मदद के बिना सीखते हैं।
3. अधिगम की प्रक्रिया में किसी सामग्री या शिक्षक की कोई आवश्यकता नहीं है।
4. यदि बच्चे शिक्षक की बात निष्क्रिय रूप से सुनते रहेंगे तब अधिगम भली प्रकार से संपादित होगा।
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