Part – IV Hindi (Language I)
(Official Answer Key)
परीक्षा (Exam) – CTET Paper 2 Elementary Stage (Class VI to VIII)
भाग (Part) – Part – IV Language I Hindi
परीक्षा आयोजक (Organized) – CBSE
कुल प्रश्न (Number of Question) – 30
परीक्षा तिथि (Exam Date) – 21st January 2022
गद्यांश पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त विकल्प को चुनकर उत्तर दीजिएः
नीलकंठ और राधा की सबसे प्रिय ऋतु तो वर्षा ही थी। मेघों के उमड़ आने से पहले ही वे हवा में उसकी सजल आहट पा लेते थे और तब उनकी मंद केका की गूंज-अनुगूँज तीव्र से तीव्रतर होती हुई मानो बूँदों के उतरने के लिए सोपान-पंक्ति बनने लगती थी। मेघ गर्जन के ताल पर ही उसके तन्मय नृत्य का आरम्भ होता और फिर मेघ जितना अधिक गरजता, बिजली जितनी अधिक चमकती, बूँदों की रिमझिमाहट जितनी तीव्र होती जाती, नीलकंठ के नृत्य का वेग उतना ही अधिक बढ़ता जाता और उसी केका का स्वर उतना ही मंद से मंदतर होता जाता। वर्षा के थम जाने पर वह दाहिने पंजे पर दाहिना पंख और बाएँ पर बायाँ पंख फैलाकर सुखाता। कभी-कभी वे दोनों एक-दूसरे के पंखों से टपकने वाली बूँदों को चोंच से पी-पीकर पंखों का गीलापन दूर करने रहते। इस आनन्दोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा, यह भी एक करुण कथा है। एक दिन मुझे किसी कार्य से नखासकोने से निकलना पड़ा और बड़े मियाँ ने पहले के समान कार को रोक लिया। एक बार किसी पिंजड़े की ओर नहीं देखूँगी, यह संकल्प करके मैंने बड़े मियाँ की विरल दाढ़ी और सफेद डोरे से कान में बंधी ऐनक को ही अपने ध्यान का केंद्र बनाया।
नीलकंठ और राधा की सबसे प्रिय ऋतु तो वर्षा ही थी। मेघों के उमड़ आने से पहले ही वे हवा में उसकी सजल आहट पा लेते थे और तब उनकी मंद केका की गूंज-अनुगूँज तीव्र से तीव्रतर होती हुई मानो बूँदों के उतरने के लिए सोपान-पंक्ति बनने लगती थी। मेघ गर्जन के ताल पर ही उसके तन्मय नृत्य का आरम्भ होता और फिर मेघ जितना अधिक गरजता, बिजली जितनी अधिक चमकती, बूँदों की रिमझिमाहट जितनी तीव्र होती जाती, नीलकंठ के नृत्य का वेग उतना ही अधिक बढ़ता जाता और उसी केका का स्वर उतना ही मंद से मंदतर होता जाता। वर्षा के थम जाने पर वह दाहिने पंजे पर दाहिना पंख और बाएँ पर बायाँ पंख फैलाकर सुखाता। कभी-कभी वे दोनों एक-दूसरे के पंखों से टपकने वाली बूँदों को चोंच से पी-पीकर पंखों का गीलापन दूर करने रहते। इस आनन्दोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा, यह भी एक करुण कथा है। एक दिन मुझे किसी कार्य से नखासकोने से निकलना पड़ा और बड़े मियाँ ने पहले के समान कार को रोक लिया। एक बार किसी पिंजड़े की ओर नहीं देखूँगी, यह संकल्प करके मैंने बड़े मियाँ की विरल दाढ़ी और सफेद डोरे से कान में बंधी ऐनक को ही अपने ध्यान का केंद्र बनाया।
91. गद्यांश में नीलकंठ शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
1. शुतुरमुर्ग के लिए
2. नीलकंठ के लिए
3. मोर के लिए
4. पपीहा के लिए
Click To Show Answer
Answer – (3)