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निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनिए
जीवन-पथ पर चलते हुए
जब, मैं किसी चौराहे पर पहुंच जाऊं
और अंतर्मन में चल रहा हो द्वंद्व
तब, हे सर्वशक्तिमान ईश!
मुझे तुम अपना अनुग्रह-पात्र समझकर
सही राह चुन सकने की मनीषा देना.
निराशा का कुहासा
जब, मन-मस्तिष्क की शक्तियों को रोकने लगे
जब, मानवता पर आस्था मेरी
डगमगाने लगे
तब, हे कृपालु प्रभु!
मुझे थोड़ी दूर ही सही
देख सकने योग्य दृष्टि देना.
जीवन-पथ पर चलते हुए
जब, मैं किसी चौराहे पर पहुंच जाऊं
और अंतर्मन में चल रहा हो द्वंद्व
तब, हे सर्वशक्तिमान ईश!
मुझे तुम अपना अनुग्रह-पात्र समझकर
सही राह चुन सकने की मनीषा देना.
निराशा का कुहासा
जब, मन-मस्तिष्क की शक्तियों को रोकने लगे
जब, मानवता पर आस्था मेरी
डगमगाने लगे
तब, हे कृपालु प्रभु!
मुझे थोड़ी दूर ही सही
देख सकने योग्य दृष्टि देना.
102. निराश व्यक्ति की कौन-सी क्षमताएँ बाधित होने लगती हैं?
1. कोहरे में देखने की
2. सोचने-समझने की
3. मस्तिष्क की वेदना
4. मन की वेदना
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Answer – (2)