9. लारेन्स कोहलबर्ग के अनुसार बच्चों का नैतिक विकास का तीसरे स्तर पर आरंभिक संबंधों को बनाए हुए होता है। ‘स्वर्णिम नियम’ इस स्तर को निदेशित करता है, जहाँ:
1. बच्चा दूसरों को प्रसन्न रखना और उनकी सहायता करना चाहता है।
2. बच्चा समझता है कि सामाजिक व्यवस्था अपने कर्तव्य पालन पर आश्रित है, उसे बनाए रखता है।
3. सही कार्यों की कसौटी के नियम/मान्यताएँ, आवश्यकताएँ और अधिकार हैं जिन्हें सर्वसम्मति से समाज स्वीकारता है।
4. बच्चा ना सिर्फ सामाजिक नियम/मान्यताओं का ध्यान रखता है बल्कि स्वयं उन सार्वभौम नियमों का पालन करता है।
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