Part – IV Sanskrit (Language II)
(Official Answer Key)
परीक्षा (Exam) – CTET Paper 2 Elementary Stage (Class VI to VIII)
भाग (Part) – Part – IV Language II Sanskrit (संस्कृत)
परीक्षा आयोजक (Organized) – CBSE
कुल प्रश्न (Number of Question) – 30
परीक्षा तिथि (Exam Date) – 22nd December 2021
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निम्नलिखितं गद्यांशं पठित्वा नवप्रश्नानां उत्तरं उचिततमं विकल्पं चित्वा लिखत-
एतत् विशालमुद्यानम् अस्माकमस्ति। एतस्मिन् उद्याने विविधा: वृक्षा: सन्ति। उद्यानस्य प्रान्तेषु निम्बतरव: आरोपिता: सन्ति। वसन्तर्तौ एतेषां वृक्षाणाम् कुसुमानि वायुमण्डलम् सुगन्धेन पूरयन्ति। एतेषां छाया घना, स्वास्थ्यकरी च भवति। जना: ग्रीष्मर्तौ एतेषां वृक्षाणां छायायां स्थित्वा तापमपनयन्ति।
निम्बतरूणामनन्तरमुद्यानं परित: एव सरणि: अस्ति। सरणे: अनन्तरं आम्रपादपा: पुन: चैका सरणि: अस्ति। प्रात: काले जना: अत्र व्यायामायागच्छन्ति। सरणिषु च धावन्ति भ्रमन्ति वा। सरणीनां तटेषु विविधा: कुसुम पादपा: अपि सन्ति। तेषु शतपत्री, गन्धराज:, मल्लिका, मालती, सूर्यकमलं, च जनानां चित्तं विशेषत: हरन्ति। जना: तानि पुष्पाणि जिघ्रन्ति चित्तं च विनोदयन्ति।
आम्रवृक्षाणामनन्तरं दाडिमानां, जम्बीराणां, मधुरजम्बीराणां, नारङ्गानां, कदलीफलानां च पादपा: सन्ति।
अस्माकं उद्याने मुरारि: अस्माकं मालाकार: अस्ति। स: सर्वं दिनमत्र कार्यं करोति। स: संरक्षणे, आरोपणे, सिञ्चने चातीव चतुर:।
अहमप्यत्रोद्याने कार्यं करोमि। एष: मम केदार:। एतस्मिन् केदारेऽहंशाकान् आरोपयामि। पश्यत मम हस्ते खनित्रमस्ति। खनित्रेण भूमे: खननं भवति। खननानन्तरमत्र बीजानि वप्स्यामि। मम केदारस्य समीपे केचित् पादपा: अपि सन्ति। तेषां पादपानामहमेव सिञ्चनं रक्षणं च करोमि। उद्याने कार्यं कृत्वाऽहम् प्रसन्नो भवामि। एतेन पादपै: सह मम परिचयोऽपि भवति, व्यायामोऽपि च।
अस्माकमुद्यानात् विविधानि फलानि, शाका:, पुष्पाणि च नगरे गच्छन्ति। तत्रैतेषां विक्रय: भवति। फलादीनां विक्रयेणास्माकं पर्याप्त: आयो भवति। तेनैव गृहस्य निर्वाह: भवति। इत्थमस्माकमुद्यानं अतीव लाभकरमस्ति।
गद्यांश का अर्थ हिन्दी में पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करेंएतत् विशालमुद्यानम् अस्माकमस्ति। एतस्मिन् उद्याने विविधा: वृक्षा: सन्ति। उद्यानस्य प्रान्तेषु निम्बतरव: आरोपिता: सन्ति। वसन्तर्तौ एतेषां वृक्षाणाम् कुसुमानि वायुमण्डलम् सुगन्धेन पूरयन्ति। एतेषां छाया घना, स्वास्थ्यकरी च भवति। जना: ग्रीष्मर्तौ एतेषां वृक्षाणां छायायां स्थित्वा तापमपनयन्ति।
निम्बतरूणामनन्तरमुद्यानं परित: एव सरणि: अस्ति। सरणे: अनन्तरं आम्रपादपा: पुन: चैका सरणि: अस्ति। प्रात: काले जना: अत्र व्यायामायागच्छन्ति। सरणिषु च धावन्ति भ्रमन्ति वा। सरणीनां तटेषु विविधा: कुसुम पादपा: अपि सन्ति। तेषु शतपत्री, गन्धराज:, मल्लिका, मालती, सूर्यकमलं, च जनानां चित्तं विशेषत: हरन्ति। जना: तानि पुष्पाणि जिघ्रन्ति चित्तं च विनोदयन्ति।
आम्रवृक्षाणामनन्तरं दाडिमानां, जम्बीराणां, मधुरजम्बीराणां, नारङ्गानां, कदलीफलानां च पादपा: सन्ति।
अस्माकं उद्याने मुरारि: अस्माकं मालाकार: अस्ति। स: सर्वं दिनमत्र कार्यं करोति। स: संरक्षणे, आरोपणे, सिञ्चने चातीव चतुर:।
अहमप्यत्रोद्याने कार्यं करोमि। एष: मम केदार:। एतस्मिन् केदारेऽहंशाकान् आरोपयामि। पश्यत मम हस्ते खनित्रमस्ति। खनित्रेण भूमे: खननं भवति। खननानन्तरमत्र बीजानि वप्स्यामि। मम केदारस्य समीपे केचित् पादपा: अपि सन्ति। तेषां पादपानामहमेव सिञ्चनं रक्षणं च करोमि। उद्याने कार्यं कृत्वाऽहम् प्रसन्नो भवामि। एतेन पादपै: सह मम परिचयोऽपि भवति, व्यायामोऽपि च।
अस्माकमुद्यानात् विविधानि फलानि, शाका:, पुष्पाणि च नगरे गच्छन्ति। तत्रैतेषां विक्रय: भवति। फलादीनां विक्रयेणास्माकं पर्याप्त: आयो भवति। तेनैव गृहस्य निर्वाह: भवति। इत्थमस्माकमुद्यानं अतीव लाभकरमस्ति।
यह बडा उद्यान हमारा है। इस उद्यान में विभिन्न पेड है। उद्यान की सीमाओं में नीम के पेड लगाये है। वसन्त ऋतु में इन पेडों के फूल वातावरण को सुगंध से भर देते है। इन की छाँव घनी और स्वास्थ्यकर है। लोग ग्रीष्म ऋतु में इन पेडों के छाँव में रुककर गर्मी दूर करते है।
नीम के पेडों के पार उद्यान के बाजू में पथ है। पथ के पार आम के पेड और पुनः एक पथ है। सुबह लोग यहा व्यायाम के लिए आते है। पथ पर दौड लगाते है या घूमते है। पथ के तट पर विभिन्न फूलों के पेड भी है। उन में गुलाब, चंदन, चमेली, मालती, और सूर्यकमल लोगों के चित्त का विशेषरूप से हरण करते है। लोग उन फूलों को सूँघते है और मन को आनंदित करते है।
आम के पेडों के बाद अनार, नींबू, संतरा, और केले के पेड है।
हमारे उद्यान में मुरारि यह हमारा माली है। वह अब दिन यहा काम करता है। वह संरक्षण, रोपण, सिंचन इन कामों में बहुत चतुर है।
मै भी यहा इस उद्यान में काम करता हूँ। यह मेरा खेत है। इस खेत में मै सब्जी उगाता हूँ। देखिए, मेरे हात में कुदाली है। कुदाली से जमीन की खुदाई होती है। खुदाई के बाद मै बीज बोता हूँ। मेरे खेत के पास कुछ पेड भी है। उन पेडों का मै ही सिंचन और रक्षण करता हूँ। उद्यान में काम कर के मै प्रसन्न होता हूँ। इन पेडों के साथ मेरा परिचय होता है और व्यायाम भी होता है।
हमारे उद्यान से विभिन्न फल, सब्जी, और फूल शहर में जाते है। वहाँ इन की विक्री होती है। फल आदि के विक्रय से हमारी पर्याप्त आय होती है। उस से ही घर चलता है। इस प्रकार हमारा उद्यान अत्यंत लाभकर है।
नीम के पेडों के पार उद्यान के बाजू में पथ है। पथ के पार आम के पेड और पुनः एक पथ है। सुबह लोग यहा व्यायाम के लिए आते है। पथ पर दौड लगाते है या घूमते है। पथ के तट पर विभिन्न फूलों के पेड भी है। उन में गुलाब, चंदन, चमेली, मालती, और सूर्यकमल लोगों के चित्त का विशेषरूप से हरण करते है। लोग उन फूलों को सूँघते है और मन को आनंदित करते है।
आम के पेडों के बाद अनार, नींबू, संतरा, और केले के पेड है।
हमारे उद्यान में मुरारि यह हमारा माली है। वह अब दिन यहा काम करता है। वह संरक्षण, रोपण, सिंचन इन कामों में बहुत चतुर है।
मै भी यहा इस उद्यान में काम करता हूँ। यह मेरा खेत है। इस खेत में मै सब्जी उगाता हूँ। देखिए, मेरे हात में कुदाली है। कुदाली से जमीन की खुदाई होती है। खुदाई के बाद मै बीज बोता हूँ। मेरे खेत के पास कुछ पेड भी है। उन पेडों का मै ही सिंचन और रक्षण करता हूँ। उद्यान में काम कर के मै प्रसन्न होता हूँ। इन पेडों के साथ मेरा परिचय होता है और व्यायाम भी होता है।
हमारे उद्यान से विभिन्न फल, सब्जी, और फूल शहर में जाते है। वहाँ इन की विक्री होती है। फल आदि के विक्रय से हमारी पर्याप्त आय होती है। उस से ही घर चलता है। इस प्रकार हमारा उद्यान अत्यंत लाभकर है।
121. वृक्षाणां छायायां स्थित्वा जना: किं कुर्वन्ति ?
1. तापमपनयन्ति।
2. सरणिषु धावन्ति
3. चित्तं विनोदयान्ति।
4. पुष्पाणि जिघ्रन्ति।
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Answer -(1)
लोग वृक्षों की छाया में बैठकर शरीर के ताप (गर्मी) को दूर करते हैं। गद्यांश में वर्णित ‘अपनयन्ति’ शब्द है, जो अप + नी (लट्लकार प्रथमपुरुष बहुवचन) का रूप है।
लोग वृक्षों की छाया में बैठकर शरीर के ताप (गर्मी) को दूर करते हैं। गद्यांश में वर्णित ‘अपनयन्ति’ शब्द है, जो अप + नी (लट्लकार प्रथमपुरुष बहुवचन) का रूप है।