137. भाषाकक्षायां साहित्यशिक्षणस्य प्रयोजनमस्ति–
1. भाषाधिगम:, चिन्तनं व्याकरणविकासश्च।
2. भाषाधिगम:, संस्कृतिज्ञानवृद्धि:, सामाजिकज्ञानवृद्धि:।
3. नैतिकमूल्यानां विकास:, लेखकविषये तस्य कालस्य कृतीनाम च ज्ञानम् ।
4. पश्चात्काले स्वयं लेखकरूपेण कार्यम्।
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Answer – (2)
भाषा की कक्षा में साहित्यशिक्षण का प्रयोजन भाषा अधिगम, संस्कृति ज्ञान वृद्धि और सामाजिक ज्ञान वृद्धि के लिए होता है। भाषा को सीखना भाषा अधिगम का अर्थ है। बालक में अपने विचारों को अभिव्यक्त करने एवं समाज में परिवेश के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए भाषा क्षमता का विकास होना आवश्यक है। एक विद्यालय का वातावरण संस्कृति के अनुरूप ही होना चाहिए। अध्यापक और संस्कृति से विद्यालय में सम्पूर्ण समाज की संस्कृति का प्रतिनिधित्व होता है। सामाजिक ज्ञान को आत्मसात करने से बालक को समाज में रहने की समझ विकसित होती है। बालक भाषा अधिगम के साथ-साथ संस्कृति ज्ञान और सामाजिक ज्ञान को आत्मसात कर प्रत्येक क्षेत्र में अपनी समझ विकसित कर सकता है।
भाषा की कक्षा में साहित्यशिक्षण का प्रयोजन भाषा अधिगम, संस्कृति ज्ञान वृद्धि और सामाजिक ज्ञान वृद्धि के लिए होता है। भाषा को सीखना भाषा अधिगम का अर्थ है। बालक में अपने विचारों को अभिव्यक्त करने एवं समाज में परिवेश के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए भाषा क्षमता का विकास होना आवश्यक है। एक विद्यालय का वातावरण संस्कृति के अनुरूप ही होना चाहिए। अध्यापक और संस्कृति से विद्यालय में सम्पूर्ण समाज की संस्कृति का प्रतिनिधित्व होता है। सामाजिक ज्ञान को आत्मसात करने से बालक को समाज में रहने की समझ विकसित होती है। बालक भाषा अधिगम के साथ-साथ संस्कृति ज्ञान और सामाजिक ज्ञान को आत्मसात कर प्रत्येक क्षेत्र में अपनी समझ विकसित कर सकता है।