Part – IV Hindi (Language I)
(Official Answer Key)
परीक्षा (Exam) – CTET Paper 2 Elementary Stage (Class VI to VIII)
भाग (Part) – Part – IV Language I Hindi
परीक्षा आयोजक (Organized) – CBSE
कुल प्रश्न (Number of Question) – 30
परीक्षा तिथि (Exam Date) – 24th December 2021
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निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिएः
लोकमान्य तिलक का कथन है-‘‘मैं नरक में भी पुस्तकों का स्वागत करूँगा, क्योंकि इनमें वह शक्ति है कि जहाँ वे होंगी, वहाँ अपने-आप स्वर्ग बन जाएगा।’’ श्रेष्ठ पुस्तकें मनुष्य, समाज और राष्ट्र का मार्गदर्शन करती हैं। संसार के इतिहास पर दृष्टिपात करने पर हम देखते हैं कि संसार की अनेक महान विभूतियों पर किसी-न-किसी श्रेष्ठ पुस्तक का प्रभाव पड़ा। महात्मा गाँधी, टॅालस्टॅाय, अब्राहम लिंकन सभी के जीवन में श्रेष्ठ पुस्तकों का महत्वपूर्ण योगदान था। लेनिन में क्रान्ति की भावना, कार्ल माक्र्स के साहित्य को पढ़कर ही जागी थी। गुप्तकाल को भारतीय इतिहास का ‘स्वर्ण युग’ कहा जाता है क्योंकि उस काल में अत्यन्त उत्कृष्ट पुस्तकों की रचना हुई। विचारों के युद्ध में पुस्तकें ही अस्त्र हैं क्योंकि पुस्तकों का हमारे विचारों पर अत्यन्त गहरा प्रभाव पड़ता है। श्रेष्ठ पुस्तकों के विचार ही समाज की काया पलट कर देते हैं। श्रेष्ठ पुस्तकें मनुष्य की सात्विक वृत्तियों को जागृत करती हैं तथा उसे असत्य से सत्य की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलती हैं।
लोकमान्य तिलक का कथन है-‘‘मैं नरक में भी पुस्तकों का स्वागत करूँगा, क्योंकि इनमें वह शक्ति है कि जहाँ वे होंगी, वहाँ अपने-आप स्वर्ग बन जाएगा।’’ श्रेष्ठ पुस्तकें मनुष्य, समाज और राष्ट्र का मार्गदर्शन करती हैं। संसार के इतिहास पर दृष्टिपात करने पर हम देखते हैं कि संसार की अनेक महान विभूतियों पर किसी-न-किसी श्रेष्ठ पुस्तक का प्रभाव पड़ा। महात्मा गाँधी, टॅालस्टॅाय, अब्राहम लिंकन सभी के जीवन में श्रेष्ठ पुस्तकों का महत्वपूर्ण योगदान था। लेनिन में क्रान्ति की भावना, कार्ल माक्र्स के साहित्य को पढ़कर ही जागी थी। गुप्तकाल को भारतीय इतिहास का ‘स्वर्ण युग’ कहा जाता है क्योंकि उस काल में अत्यन्त उत्कृष्ट पुस्तकों की रचना हुई। विचारों के युद्ध में पुस्तकें ही अस्त्र हैं क्योंकि पुस्तकों का हमारे विचारों पर अत्यन्त गहरा प्रभाव पड़ता है। श्रेष्ठ पुस्तकों के विचार ही समाज की काया पलट कर देते हैं। श्रेष्ठ पुस्तकें मनुष्य की सात्विक वृत्तियों को जागृत करती हैं तथा उसे असत्य से सत्य की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलती हैं।
91. तिलक ने नरक में भी पुस्तकों का स्वागत करने की बात की, क्योंकि:
1. पुस्तक पढ़ने में समय व्यतीत हो जाता है।
2. पुस्तकें मनुष्य को देवता बना देती हैं।
3. पुस्तकें प्रतिकूल को अनुकूल करने की क्षमता रखती हैं।
4. अधिकतर पुस्तकें दुख में ही ले जाती हैं।
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Answer – (3)