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निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिएः
अंतःकरण कहे, हे जननी, मैं तेरा, तू मेरी है।
मेरे लेखे ज्ञान ध्यान तू, तू रत्नों की ढेरी है।
तेरी धूल स्वर्ग सिंहासन से भी मुझे सुन्दर है।
तेरी रज का एक-एक कण हीरे से भी बढ़कर है।
तू ही धर्म-कर्म, जप-तप-व्रत, तू ही योग-भोग सब है।
अपनी ही ममता माता दे हम लोगों को आज सिखा
शक्ति रूप से आकर आगे अन्नपूर्णा रूप दिखा।
अंतःकरण कहे, हे जननी, मैं तेरा, तू मेरी है।
मेरे लेखे ज्ञान ध्यान तू, तू रत्नों की ढेरी है।
तेरी धूल स्वर्ग सिंहासन से भी मुझे सुन्दर है।
तेरी रज का एक-एक कण हीरे से भी बढ़कर है।
तू ही धर्म-कर्म, जप-तप-व्रत, तू ही योग-भोग सब है।
अपनी ही ममता माता दे हम लोगों को आज सिखा
शक्ति रूप से आकर आगे अन्नपूर्णा रूप दिखा।
105. उपर्युक्त कविता में कवि क्या सीखना चाहता है?
1. ध्यान
2. कर्म
3. व्रत
4. ममता
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Answer – (4)