पद्यांश पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिएः
पहले लटकाई मैंने
धान की बालियों वाली झालर
दरवाजे की चैखट पर
फिर भेजा चिड़ियों को न्योता
गृह प्रवेश का विधिवत।
चिड़ियों ने भी
न्यौते को मान दिया,
आई दाना चुगा।
और फिर लौट गयीं
बाहर ही बाहर दरवाजे से
वैसे समारोह के बाद
जैसे लौटते हैं
आमंत्रित अतिथि सब।
तब लटकाया मैंने एक आईना
भीतर
अंतःपुर की दीवार पर।
किसी अतिथि की तरह
बाहर ही बाहर से
नहीं लौटी इस बार
चिड़िया
अब अंतःपुर में
चिड़ियाँ
काँच के आईने में
अपने को निहारती शृंगार करती
और एक घर को सजाती
घर
धीरे-धीरे घर बन रहा था।
 पहले लटकाई मैंने
धान की बालियों वाली झालर
दरवाजे की चैखट पर
फिर भेजा चिड़ियों को न्योता
गृह प्रवेश का विधिवत।
चिड़ियों ने भी
न्यौते को मान दिया,
आई दाना चुगा।
और फिर लौट गयीं
बाहर ही बाहर दरवाजे से
वैसे समारोह के बाद
जैसे लौटते हैं
आमंत्रित अतिथि सब।
तब लटकाया मैंने एक आईना
भीतर
अंतःपुर की दीवार पर।
किसी अतिथि की तरह
बाहर ही बाहर से
नहीं लौटी इस बार
चिड़िया
अब अंतःपुर में
चिड़ियाँ
काँच के आईने में
अपने को निहारती शृंगार करती
और एक घर को सजाती
घर
धीरे-धीरे घर बन रहा था।
104. ‘धीरे-धीरे घर बन रहा था’ का आशय कवि के:
1. अकेलेपन से छुटकारा पाने से है।
2. अवसाद से है।
3. अकेलेपन से है।
4. अभाव से है।
Click To Show Answer
Answer -(1)