150. काचिद् अध्यापिका स्वकक्षायां निम्नलिखितां क्रियां करोतिक िश्चद् लघुपाठ: द्वयो: पृथकखण्डयो: विभाज्यते अथवा प्रत्येकं एकान्तरितवाक्यं युगलाय दीयते तथा प्रत्येकं छात्र: अपरं छात्रम् लेखयति। तदा ते सर्वं पाठ संशोधयन्ति। इयं क्रिया का कथ्यते-
1. परस्परं श्रुतलेखनम्
2. वाक्यै: श्रुतलेखनम्
3. व्याकरण-अनुवाद-श्रुतलेखनम्
4. प्रतिरचनां तथा व्याख्या (trnscreation and interpretation)
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Answer -(1)
कोई अध्यापिका अपनी कक्षा में किसी लघुपाठ को ही अलग-अलग खण्डों में विभाजित करती है अथवा प्रत्येक एकान्तरित वाक्य को जोड़े बनाने के लिए देती है और प्रत्येक छात्र, को लिखने के लिए कहती है। तब वे सभी पाठ का संशोधन करते हैं। इस क्रिया को ‘परस्पर श्रुतलेख’ कहते हैं।
कोई अध्यापिका अपनी कक्षा में किसी लघुपाठ को ही अलग-अलग खण्डों में विभाजित करती है अथवा प्रत्येक एकान्तरित वाक्य को जोड़े बनाने के लिए देती है और प्रत्येक छात्र, को लिखने के लिए कहती है। तब वे सभी पाठ का संशोधन करते हैं। इस क्रिया को ‘परस्पर श्रुतलेख’ कहते हैं।