गद्यांश पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिएः
बंगाल की खाड़ी में अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह हैं जिसमें 400 से भी ज्यादा छोटे-बड़े द्वीप हैं। यहाँ सेन्टिनेली, ओंगे, अण्डमानी, शोमेन तथा जारवा आदिवासी जनजातियाँ रहती हैं। ये सभी अपना गुजारा शिकार करके और जंगल से अपनी जरूरत की दूसरी चीजें इकट्ठा करके चलाते हैं। हमारे विपरीत उन्हें पर्यावरण का गहरा ज्ञान है और वे इसका सूझ-बूझ से अच्छा उपयोग करते हैं। उनका खाना, कपड़े, दवाएँ, गहने, खिलौने तथा मनोरंजन और पूर्जा-अर्चना के साधन उन्हें अपने ही परिवेश के पेड़-पौधों और पशुओं से मिल जाते हैं। वे हमसे इस बात में भिन्न हैं कि वे ध्यान रखते हैं कि संसाधनों का अत्यधिक दोहन न हो और पर्यावरण को नुकसान न पहुँचे। वैश्विक गर्मी, जंगलों की अंधाधुंध कटाई और मौज मस्ती के लिए जानवरों के शिकार के विचार से ही किसी जारवा का दिल दहल जाएगा। यह सारे चोंचले तो हम ‘शिष्ट और सभ्य’ लोगों को ही सूझते हैं। हमें भी अपने पर्यावरण का सम्मान करना सीखना है। हमें उन संस्कृतियों का सम्मान करना भी सीखना है जो हमारी संस्कृति से भिन्न हैं। चूँकि जारवा हमारी तरह टी.वी. नहीं देखते या जींस और टी-शर्ट नहीं पहनते, हम उन्हें जंगली करार देते हैं और यह मान लेते हैं कि वे हमसे घटिया किस्म के लोग हैं। परन्तु वे हमसे कहीं बेहतर हैं। हम से उलट वे पूरी तरह से आत्मनिर्भर हैं, और अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए दूसरों पर आश्रित नहीं हैं।
बंगाल की खाड़ी में अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह हैं जिसमें 400 से भी ज्यादा छोटे-बड़े द्वीप हैं। यहाँ सेन्टिनेली, ओंगे, अण्डमानी, शोमेन तथा जारवा आदिवासी जनजातियाँ रहती हैं। ये सभी अपना गुजारा शिकार करके और जंगल से अपनी जरूरत की दूसरी चीजें इकट्ठा करके चलाते हैं। हमारे विपरीत उन्हें पर्यावरण का गहरा ज्ञान है और वे इसका सूझ-बूझ से अच्छा उपयोग करते हैं। उनका खाना, कपड़े, दवाएँ, गहने, खिलौने तथा मनोरंजन और पूर्जा-अर्चना के साधन उन्हें अपने ही परिवेश के पेड़-पौधों और पशुओं से मिल जाते हैं। वे हमसे इस बात में भिन्न हैं कि वे ध्यान रखते हैं कि संसाधनों का अत्यधिक दोहन न हो और पर्यावरण को नुकसान न पहुँचे। वैश्विक गर्मी, जंगलों की अंधाधुंध कटाई और मौज मस्ती के लिए जानवरों के शिकार के विचार से ही किसी जारवा का दिल दहल जाएगा। यह सारे चोंचले तो हम ‘शिष्ट और सभ्य’ लोगों को ही सूझते हैं। हमें भी अपने पर्यावरण का सम्मान करना सीखना है। हमें उन संस्कृतियों का सम्मान करना भी सीखना है जो हमारी संस्कृति से भिन्न हैं। चूँकि जारवा हमारी तरह टी.वी. नहीं देखते या जींस और टी-शर्ट नहीं पहनते, हम उन्हें जंगली करार देते हैं और यह मान लेते हैं कि वे हमसे घटिया किस्म के लोग हैं। परन्तु वे हमसे कहीं बेहतर हैं। हम से उलट वे पूरी तरह से आत्मनिर्भर हैं, और अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए दूसरों पर आश्रित नहीं हैं।
93. जारवा इनमें से क्या कार्य करते हैं?
1. पर्यावरण संरक्षण
2. जंगलों की कटाई
3. केवल मनोरंजन
4. संसाधनों का दुरुपयोग
Click To Show Answer
Answer -(1)