142. व्याकरणिकसंरचनाविषये अवबोधनम् तस्या: प्रयोग: च-
1. व्याकरणस्य प्रक्रियात्मकं ज्ञानम्
2. व्याकरणस्य ज्ञानम्
3. भाषा-ज्ञानम्
4. व्याकरणनियमानां अवबोधनम् अग्रिमे पुनप्र्रस्तुति: च।
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Answer -(1)
व्याकरणिक संरचना के विषय में अवबोधन और उसका प्रयोग व्याकरण का प्रक्रियात्मक ज्ञान है। प्राचीन शिक्षण पद्धति में कण्ठस्थ करने के साथ-साथ अवबोध पर भी पर्याप्त बल दिया जाता है। यास्क ने अपने निरुक्त में अर्थ को बोधगम्य बनाने की दृष्टि से शब्दों का स्पष्टीकरण किया है। महाभाष्यकार पतञ्जलि ने भी समझकर याद करने पर बल देते हुए कहा है कि- ‘‘यदधीतमविज्ञातं निगदेनैव शब्द्यते। अग्नाविव शुष्केन्धो न तज्ज्वलति कर्हिचित् ।।’’
व्याकरणिक संरचना के विषय में अवबोधन और उसका प्रयोग व्याकरण का प्रक्रियात्मक ज्ञान है। प्राचीन शिक्षण पद्धति में कण्ठस्थ करने के साथ-साथ अवबोध पर भी पर्याप्त बल दिया जाता है। यास्क ने अपने निरुक्त में अर्थ को बोधगम्य बनाने की दृष्टि से शब्दों का स्पष्टीकरण किया है। महाभाष्यकार पतञ्जलि ने भी समझकर याद करने पर बल देते हुए कहा है कि- ‘‘यदधीतमविज्ञातं निगदेनैव शब्द्यते। अग्नाविव शुष्केन्धो न तज्ज्वलति कर्हिचित् ।।’’