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दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए। उपवास रखना केवल धार्मिक विधि विधान या कर्मकांड का अंग नहीं है। उपवास-व्रत भारतीय संस्कृति में पूर्ण स्वास्थ्य के सूत्र हैं। ऋतु परिवर्तन के समय व्रत इसलिए रखे जाते हैं कि बदलते मौसम में कई किस्म की बीमारियाँ आती हैं। बीमारियों से लड़ने की रोग प्रतिरोधक शक्ति तभी प्राप्त होगी, जब शारीरिक और मानसिक शुद्धता होगी। इसी से जीवनी शक्ति भी प्राप्त होती है, इससे बल व बुद्धि का बराबर संतुलन बना रहता है। उपवास के दौरान शरीर के पाचन-संस्थान को पूर्णरूप से विश्राम मिलता है तथा शरीर में विद्यमान पुराने खाद्य अवशेष तथा दूषित पदार्थ नष्ट होकर मल के द्वारा निकालने का प्रयत्न करते हैं, तो भूख स्वतः समाप्त हो जाती है। अतः उस समय उपवास करना अनिवार्य हो जाता है। भोजन लेने से तीव्र निष्कासन क्रिया रुक जाती है। भूख न रहने पर भोजन न किया जाए तो पूर्णरूप से शरीरिक सफाई होकर रोग का कारण जड़ से समाप्त हो जाता है। उसके पश्चात् नियमित तथा उपयुक्त उचित आहार देने पर रोग के लौटने की आशंका नहीं रहती।
94. रोगों के लौटने की संभावना कब कम हो जाती है?
1. जब उपवास रखते हैं।
2. जब मनपंसद भोजन करते हैं।
3. जब बिना भूख के भोजन करते हैं।
4. जब बिना भूख के भोजन न किया जाए।
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Answer – (4)