60. निम्नलिखित कथनो को पढ़िए-
“गणित में, हम प्रत्यक्ष वस्तुओं से धनपूर्णांकों के समुच्चय के अमूर्त रुप को समझते हैं। इस समुच्चय में हम शून्य सम्मिलित करते हैं और पूर्णांकों का समुच्चय प्राप्त होता है। इस समुच्चय में हमने ऋणात्मक संख्याओं को सम्मलित किया पूर्णांक समुच्चय को पाने के लिए। पूर्णांकों में हमने धनात्मक और ऋणात्मक भिन्नों को जोड़ा परिमेय संख्या का समुच्चय पाने के लिए।”
उपर्युक्त कथन इसे प्रतिबिबित करता है-
1. गणित में संकल्पनाओं के रैखिक प्रबंध को
2. गणित के पदानुक्रमिक स्वभाव को
3. गणित में संकल्पनाओं के मूर्त स्वभाव को
4. गणित में संकल्पनाएं अमूर्त से मूर्त (प्रत्यक्ष) की तरफ चलती हैं
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Answer – (2)