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दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए।
कर्मों से बहुत कुछ बदला जा सकता है। दुनिया कर्म प्रधान है, कर्म से किस्मत को भी बदला जा सकता है। जरूरत है इसकी शक्ति को पहचानने और इसे पूर्ण निष्ठा और लगन से करने की। सत्य से प्रेरित कार्य व्यक्ति को महान बनाते हैं। ऐसा व्यक्ति सरल, सबल, सशक्त, प्रेमी, दानी, ज्ञानी और कल्याणकारी होता है। कृत्य के बारे में कहावत है कि जैसा बोओंगे, वैसा काटोगे। कहते भी हैं कि बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से होए। गीता में भी कहा गया है कि इंसान को केवल कर्म का ही अधिकार है, उसके फल के बारे में चिंता करने का नहीं। गीता के अनुसार अपनी किस्मत को बदलने के लिए कर्मठता ही पहला और सबसे बड़ा रास्ता है। किसी दूसरे के साथ पूर्ण रूप से जीने से बेहतर है कि हम अपने कर्म के अनुसार अपूर्ण जिएं। दूसरों के जीवन की उन्नति और सफलता से ईर्ष्या न कर अपने जीवन से नकारात्मक विचारों को दूर कर अपनी आत्मा को उज्ज्वल बनाना चाहिए।
कर्मों से बहुत कुछ बदला जा सकता है। दुनिया कर्म प्रधान है, कर्म से किस्मत को भी बदला जा सकता है। जरूरत है इसकी शक्ति को पहचानने और इसे पूर्ण निष्ठा और लगन से करने की। सत्य से प्रेरित कार्य व्यक्ति को महान बनाते हैं। ऐसा व्यक्ति सरल, सबल, सशक्त, प्रेमी, दानी, ज्ञानी और कल्याणकारी होता है। कृत्य के बारे में कहावत है कि जैसा बोओंगे, वैसा काटोगे। कहते भी हैं कि बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से होए। गीता में भी कहा गया है कि इंसान को केवल कर्म का ही अधिकार है, उसके फल के बारे में चिंता करने का नहीं। गीता के अनुसार अपनी किस्मत को बदलने के लिए कर्मठता ही पहला और सबसे बड़ा रास्ता है। किसी दूसरे के साथ पूर्ण रूप से जीने से बेहतर है कि हम अपने कर्म के अनुसार अपूर्ण जिएं। दूसरों के जीवन की उन्नति और सफलता से ईर्ष्या न कर अपने जीवन से नकारात्मक विचारों को दूर कर अपनी आत्मा को उज्ज्वल बनाना चाहिए।
96. गद्यांश के अनुसार अपने अंतर्मन को किस प्रकार प्रकाशित किया जा सकता है?
1. अपने कर्मों की चिंता करके।
2. कर्म की शक्ति को पहचान कर।
3. सभी के प्रति सकारात्मक भाव रखकर।
4. सभी के साथ प्रतिस्पर्धा करके।
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Answer – (3)