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दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।
आकाश के तारों में शुक्र का कोई जोड़ नहीं। शुक्र चन्द्र का साथी माना जाता/गया है। उसकी आभा-प्रभा का वर्णन करने में संसार के कवि थके नहीं। फिर भी नक्षत्र-मंडल में कलगी रूप इस तेजस्वी तारे को दुनिया या तो ठीक शाम के समय, बड़े सवेरे घंटे-दो घंटे से अधिक देख नहीं पाती। इसी तरह भाई महादेव जी आधुनिक भारत की स्वतन्त्रता के उषाकाल में अपनी वैसी ही आभा से हमारे आकाश को जगमगाकर, देश और दुनिया को मुग्ध करके, शुक्रतारे की तरह ही अचानक अस्त हो गए। सेवा धर्म का पालन करने के लिए इस धरती पर जन्मे महादेव देसाई गाँधी जी के मंत्री थे। मित्रों के बीच विनोद में अपने को गाँधी जी का ‘हम्माल’ कहने में और कभी-कभी अपना परिचय उनके ‘पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में देने में, वे गौरव का अनुभव किया करते थे।
गाँधी जी के लिए वे पुत्र से भी अधिक थे। जब सन् 1917 में वे गाँधी जी के पास पहुँचे थे, तभी गाँधी जी ने उनको तत्काल पहचान लिया और उनको अपने उत्तराधिकारी का पद सौंप दिया। सन् 1919 में जलियाँवाला बाग के हत्याकांड के दिनों में पंजाब जाते हुए गाँधी जी को पलवल स्टेशन पर गिरफ्तार किया गया था। गाँधी जी ने उसी समय महादेव भाई को अपना वारिस कहा था। सन् 1929 में महादेव भाई, देश के चारों कोनों में, समूचे देश के दुलारे बन चुके थे।
इस बीच पंजाब में फौजी शासन के कारण जो कहर बरसाया गया था, उसका ब्यौरा रोज-रोज आने लगा। पंजाब के अधिकतर नेताओं को गिरफ्तार करके फौजी कानून के तहत उम्र कैद की सजाएँ देकर कालापानी भेज दिया गया।
आकाश के तारों में शुक्र का कोई जोड़ नहीं। शुक्र चन्द्र का साथी माना जाता/गया है। उसकी आभा-प्रभा का वर्णन करने में संसार के कवि थके नहीं। फिर भी नक्षत्र-मंडल में कलगी रूप इस तेजस्वी तारे को दुनिया या तो ठीक शाम के समय, बड़े सवेरे घंटे-दो घंटे से अधिक देख नहीं पाती। इसी तरह भाई महादेव जी आधुनिक भारत की स्वतन्त्रता के उषाकाल में अपनी वैसी ही आभा से हमारे आकाश को जगमगाकर, देश और दुनिया को मुग्ध करके, शुक्रतारे की तरह ही अचानक अस्त हो गए। सेवा धर्म का पालन करने के लिए इस धरती पर जन्मे महादेव देसाई गाँधी जी के मंत्री थे। मित्रों के बीच विनोद में अपने को गाँधी जी का ‘हम्माल’ कहने में और कभी-कभी अपना परिचय उनके ‘पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में देने में, वे गौरव का अनुभव किया करते थे।
गाँधी जी के लिए वे पुत्र से भी अधिक थे। जब सन् 1917 में वे गाँधी जी के पास पहुँचे थे, तभी गाँधी जी ने उनको तत्काल पहचान लिया और उनको अपने उत्तराधिकारी का पद सौंप दिया। सन् 1919 में जलियाँवाला बाग के हत्याकांड के दिनों में पंजाब जाते हुए गाँधी जी को पलवल स्टेशन पर गिरफ्तार किया गया था। गाँधी जी ने उसी समय महादेव भाई को अपना वारिस कहा था। सन् 1929 में महादेव भाई, देश के चारों कोनों में, समूचे देश के दुलारे बन चुके थे।
इस बीच पंजाब में फौजी शासन के कारण जो कहर बरसाया गया था, उसका ब्यौरा रोज-रोज आने लगा। पंजाब के अधिकतर नेताओं को गिरफ्तार करके फौजी कानून के तहत उम्र कैद की सजाएँ देकर कालापानी भेज दिया गया।
94. किस वर्ष में महादेव जी अपने कार्यों से अपनी पहचान बना चुके थे?
1. 1917 में
2. 1919 में
3. 1939 में
4. 1929 में
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Answer – (4)