2. बाल विकास के समकालीन परिप्रेक्ष्यः
1. बच्चे को एक जैविक प्रवर्ग के रूप में देखते हैं।
2. बच्चे को एक दैहिक के सत्व रूप में देखते हैं।
3. बाल्यावस्था को विशिष्ट चरणों में विभाजित मानते हैं।
4. बाल्यावस्था को एक विशिष्ट सांस्कृतिक एवं सामाजिक संरचना मानते हैं।
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Answer – (4)