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दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
दुनिया में जितने भी लोग सफल हुए हैं, सभी अपनी मेहनत के बल पर ही हुए हैं। उन्होंने बिना कुछ सोचे-समझे लोगों की नकारात्मक बातों को अपने से दूर रखकर अपने कार्यों को पूर्ण किया और अंत में उन्हें सफलता प्राप्त हुई। अगर आप अपने लक्ष्य को पाने के लिए दृढ़ संकल्प ले लेते हैं और दिन-रात कड़ी मेहनत करते हैं तो आप के रास्ते में जितने भी संकट या मुश्किलें आएँगी, आप उन्हें पार कर जाएँगे। जब कोई व्यक्ति इस संकल्प के साथ अपने को कार्य के लिए साध लेता है कि अब कर्म और उसके बीच कोई तीसरा नहीं हो सकता चाहे वह कर्म के फल की इच्छा ही क्यों न हो, तो उसके जीवन के सभी दु:ख अपने आप ख़त्म हो जाते हैं, जीवन में उमंग और खुशियाँ भर जाती हैं। सही मायने में जो मनुष्य क्रोध से मुक्त होता है और जिसके मन में एकजुट होने की इच्छा होती है, वही असल में सच्चा मनुष्य होता है।
दुनिया में जितने भी लोग सफल हुए हैं, सभी अपनी मेहनत के बल पर ही हुए हैं। उन्होंने बिना कुछ सोचे-समझे लोगों की नकारात्मक बातों को अपने से दूर रखकर अपने कार्यों को पूर्ण किया और अंत में उन्हें सफलता प्राप्त हुई। अगर आप अपने लक्ष्य को पाने के लिए दृढ़ संकल्प ले लेते हैं और दिन-रात कड़ी मेहनत करते हैं तो आप के रास्ते में जितने भी संकट या मुश्किलें आएँगी, आप उन्हें पार कर जाएँगे। जब कोई व्यक्ति इस संकल्प के साथ अपने को कार्य के लिए साध लेता है कि अब कर्म और उसके बीच कोई तीसरा नहीं हो सकता चाहे वह कर्म के फल की इच्छा ही क्यों न हो, तो उसके जीवन के सभी दु:ख अपने आप ख़त्म हो जाते हैं, जीवन में उमंग और खुशियाँ भर जाती हैं। सही मायने में जो मनुष्य क्रोध से मुक्त होता है और जिसके मन में एकजुट होने की इच्छा होती है, वही असल में सच्चा मनुष्य होता है।
95. ‘अब कर्म और उसके बीच कोई तीसरा नहीं हो सकता’ वाक्य का आशय है-
1. अपने कर्म के लिए किसी तीसरे का सहयोग नहीं लेना है।
2. चाहे कुछ भी हो जाए, कर्म के पथ से नहीं डिगना है।
3. दूसरों की सलाहों को नहीं सुनना है।
4. संकटों का सामना करना है।
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Answer – (2)