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मुझे यह कहने में हिचक नहीं कि मैं और चीजों की तरह कला को भी उपयोगिता की तुला पर तौलता हूँ। निस्संदेह कला का उद्देश्य सौन्दर्य-सृष्टि की पुष्टि करना है और वह हमारे आध्यात्मिक आनंद की कुंजी है, पर ऐसा कोई रुचिगत मानसिक तथा आध्यात्मिक आनंद नहीं; जो अपनी उपयोगिता का पहलू न रखता हो। फूलों को देखकर हमें इसलिए आनंद होता है कि उनसे फलों की आशा होती है, प्रकृति से अपने जीवन का सुर मिलाकर रहने में हमें इसलिए आध्यात्मिक सुख मिलता है कि उससे हमारा जीवन विकसित और पुष्ट होता है। प्रकृति का विधान वृद्धि और विकास है और जिन भावों से हमें आनंद मिलता है, वे इसी विधान में सहायक है।)
मुझे यह कहने में हिचक नहीं कि मैं और चीजों की तरह कला को भी उपयोगिता की तुला पर तौलता हूँ। निस्संदेह कला का उद्देश्य सौन्दर्य-सृष्टि की पुष्टि करना है और वह हमारे आध्यात्मिक आनंद की कुंजी है, पर ऐसा कोई रुचिगत मानसिक तथा आध्यात्मिक आनंद नहीं; जो अपनी उपयोगिता का पहलू न रखता हो। फूलों को देखकर हमें इसलिए आनंद होता है कि उनसे फलों की आशा होती है, प्रकृति से अपने जीवन का सुर मिलाकर रहने में हमें इसलिए आध्यात्मिक सुख मिलता है कि उससे हमारा जीवन विकसित और पुष्ट होता है। प्रकृति का विधान वृद्धि और विकास है और जिन भावों से हमें आनंद मिलता है, वे इसी विधान में सहायक है।)
96. कला का उद्देश्य क्या है?
1. आध्यात्मिक आनंद
2. सौन्दर्य सृजन
3. जीवन के लिए उपयोगिता
4. मानसिक सुख
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Answer – (2)