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निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर दीजिए।
जो अन्य धात्री के सदृश सबको पिलाती दुग्ध हैं,
है जो अमृत इस लोक का, जिस पर अमर भी मुग्ध हैं।
वे धेनुएँ प्रत्येक गृह में हैं दुही जाने लगी –
यो शक्ति की नदियाँ वहाँ सर्वत्र लहराने लगीं।
घृत आदि के आधिक्य से बल-वीर्य का सु-विकास है,
क्या आजकल का-सा कहीं भी व्याधियों का वास है?
है उस समय गो-वंश पलता, इस समय मरता वही।
क्या एक हो सकता कभी यह और वह भारत मही?
जो अन्य धात्री के सदृश सबको पिलाती दुग्ध हैं,
है जो अमृत इस लोक का, जिस पर अमर भी मुग्ध हैं।
वे धेनुएँ प्रत्येक गृह में हैं दुही जाने लगी –
यो शक्ति की नदियाँ वहाँ सर्वत्र लहराने लगीं।
घृत आदि के आधिक्य से बल-वीर्य का सु-विकास है,
क्या आजकल का-सा कहीं भी व्याधियों का वास है?
है उस समय गो-वंश पलता, इस समय मरता वही।
क्या एक हो सकता कभी यह और वह भारत मही?
102. ‘धात्री’ शब्द का अर्थ है-
1. देने वाली
2. धारण करने वाली
3. पालन करने वाली
4. सेवा करने वाली
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Answer – (3)