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निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर दीजिए।
परिश्रमी व्यक्ति को असफल हो जाने पर भी पश्चाताप नहीं होता, उसके मन में इतना संतोष तो अवश्य रहता है कि उसमें जितनी सामर्थ्य थी, उसने उतना प्रयत्न किया, फल देना या न देना तो ईश्वर के अधीन है। मानव का कर्तव्य केवल कार्य करना है। इसके विपरीत, आलसी व्यक्ति किसी कार्य की असफलता पर उसका दोष भाग्य को देते हैं। प्रश्न यह है कि भाग्य क्या है? किसी ने सच ही कहा है कि मनुष्य का भाग्य भी परिश्रम से ही बनता है। यदि कोई व्यक्ति यह सोचकर बैठ जाए कि उसके भाग्य में अमुक वस्तु नहीं है, तो वह उसके लिए कुछ भी कार्य करे, परिश्रम करे, परन्तु वह वस्तु उसे प्राप्त नहीं होगी। प्रकृति भी भाग्य के बल से नहीं, व्यक्ति के पुरुषार्थ के बल से ही झुकती है भारतीय संस्कृति में कहा जाने वाला तप भी परिश्रम का ही पर्याय है किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए किया गया श्रम ही तप है। इसी तप या श्रम के कारण नहुष इंद्रासन का अधिकारी बना, कालिदास महान कवि, मैडम क्यूरी तथा एडीसन महान वैज्ञानिक तथा अब्राहिम लिंकन अमेरिका का राष्ट्रपति। महान लेखकों, कवियों, वैज्ञानिकों आदि की सफलता का रहस्य भी उनका परिश्रम ही है।
परिश्रमी व्यक्ति को असफल हो जाने पर भी पश्चाताप नहीं होता, उसके मन में इतना संतोष तो अवश्य रहता है कि उसमें जितनी सामर्थ्य थी, उसने उतना प्रयत्न किया, फल देना या न देना तो ईश्वर के अधीन है। मानव का कर्तव्य केवल कार्य करना है। इसके विपरीत, आलसी व्यक्ति किसी कार्य की असफलता पर उसका दोष भाग्य को देते हैं। प्रश्न यह है कि भाग्य क्या है? किसी ने सच ही कहा है कि मनुष्य का भाग्य भी परिश्रम से ही बनता है। यदि कोई व्यक्ति यह सोचकर बैठ जाए कि उसके भाग्य में अमुक वस्तु नहीं है, तो वह उसके लिए कुछ भी कार्य करे, परिश्रम करे, परन्तु वह वस्तु उसे प्राप्त नहीं होगी। प्रकृति भी भाग्य के बल से नहीं, व्यक्ति के पुरुषार्थ के बल से ही झुकती है भारतीय संस्कृति में कहा जाने वाला तप भी परिश्रम का ही पर्याय है किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए किया गया श्रम ही तप है। इसी तप या श्रम के कारण नहुष इंद्रासन का अधिकारी बना, कालिदास महान कवि, मैडम क्यूरी तथा एडीसन महान वैज्ञानिक तथा अब्राहिम लिंकन अमेरिका का राष्ट्रपति। महान लेखकों, कवियों, वैज्ञानिकों आदि की सफलता का रहस्य भी उनका परिश्रम ही है।
98. ‘सामर्थ्य’ शब्द में मूल शब्द व प्रत्यय है-
1. साम् + अर्थ्य
2. समर्थ + अय्
3. सम + अर्थ + य्
4. समर्थ + य
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Answer – (4)