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निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनिएः
मानव की दो मूल प्रवृत्तियाँ होती हैं। एक तो यह कि लोग हमारे गुणों की कद्र करें, हमें दाद दें और हमारा आदर करें और दूसरे वे हम से प्रेम करें, हमारा अभाव महसूस करें, उनके जीवन में हम कुछ महत्व रखते हैं, ऐसा अनुभव करें। आपके जरा-से कार्य की भी यदि किसी ने सच्चे दिल से प्रशंसा की तो आपका दिल कैसा खिल उठता है? कोई आपकी सलाह माँगने आता है तो आपका मन कैसे फूल जाता है?
ऊपर से कोई कितना भी विश्वासी या आत्मसंतुष्ट क्यों न दिखाई दे, भीतर से वह हमारी आपकी तरह प्रशंसा का, प्रोत्साहन का, स्नेह का भूखा है। यदि आप उसे प्रामाणिकता-पूर्वक ले सकें तो आप फौरन उसके
हृदय के निकट पहुँच जाएँगे। दूसरों की भावनाओं को ठीक-ठीक समझना, उनकी कद्र करना, उनके साथ सच्चाई और स्नेह का व्यवहार करना यही व्यवहार कुशलता है। यही लोकप्रियता के दरवाजे खोलने की कुँजी है। जब लोग त्रस्त हों, पराजित हों या शोकग्रस्त हों तभी उन्हें हमारी सहानुभूति और प्रोत्साहन की जरूरत होती है। इस समय उनकी खिल्ली उड़ाने का मोह नहीं करना चाहिए।)
मानव की दो मूल प्रवृत्तियाँ होती हैं। एक तो यह कि लोग हमारे गुणों की कद्र करें, हमें दाद दें और हमारा आदर करें और दूसरे वे हम से प्रेम करें, हमारा अभाव महसूस करें, उनके जीवन में हम कुछ महत्व रखते हैं, ऐसा अनुभव करें। आपके जरा-से कार्य की भी यदि किसी ने सच्चे दिल से प्रशंसा की तो आपका दिल कैसा खिल उठता है? कोई आपकी सलाह माँगने आता है तो आपका मन कैसे फूल जाता है?
ऊपर से कोई कितना भी विश्वासी या आत्मसंतुष्ट क्यों न दिखाई दे, भीतर से वह हमारी आपकी तरह प्रशंसा का, प्रोत्साहन का, स्नेह का भूखा है। यदि आप उसे प्रामाणिकता-पूर्वक ले सकें तो आप फौरन उसके
हृदय के निकट पहुँच जाएँगे। दूसरों की भावनाओं को ठीक-ठीक समझना, उनकी कद्र करना, उनके साथ सच्चाई और स्नेह का व्यवहार करना यही व्यवहार कुशलता है। यही लोकप्रियता के दरवाजे खोलने की कुँजी है। जब लोग त्रस्त हों, पराजित हों या शोकग्रस्त हों तभी उन्हें हमारी सहानुभूति और प्रोत्साहन की जरूरत होती है। इस समय उनकी खिल्ली उड़ाने का मोह नहीं करना चाहिए।)
99. ‘प्रामाणिकता’ में प्रत्यय हैः
1. ईक + ता
2. इक + ता
3. इक + त
4. णिक + त
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Answer – (2)