19. जीन पियाजे ______ को मानता है। लेव वायगोत्स्की ______ को मानता है।
(1) निजी वाक्, आत्म-विनियमन में प्रभावी; आत्मकेंद्रित वाक्, संज्ञानात्मक अपरिप्वता का संकेत
(2) आत्मकेंद्रित वाक्, संज्ञानात्मक अपरिपक्वता का संकेत; निजी वाक्, आत्म-विनियमन में प्रभावी
(3) आत्मकेंद्रित वाक्, आत्म-विनियमन में प्रभावी; निजी वाक्, संज्ञानात्मक अपरिपक्वता का संकेत
(4) निजी वाक्, संज्ञानात्मक अपरिपक्वता का संकेत; आत्मकेंद्रित वाक्, आत्म-विनियमन में प्रभावी
Click To Show Answer
उत्तर : (2) आत्मकेंद्रित वाक्, संज्ञानात्मक अपरिपक्वता का संकेत; निजी वाक्, आत्म-विनियमन में प्रभावी
कारण: जीन पियाजे ने बच्चों द्वारा स्वयं से बात करने को ‘आत्मकेंद्रित वाक्’ (Egocentric Speech) कहा और इसे संज्ञानात्मक अपरिपक्वता का संकेत माना। उनका मानना था कि यह सामाजिक संपर्क की कमी का परिणाम है। इसके विपरीत, लेव वायगोत्स्की ने बच्चों द्वारा स्वयं से बात करने को ‘निजी वाक्’ (Private Speech) कहा और इसे आत्म-विनियमन (self-regulation) और समस्या-समाधान का एक महत्वपूर्ण उपकरण माना। वायगोत्स्की के अनुसार, निजी वाक् संज्ञानात्मक विकास का एक परिपक्व संकेत है।
कारण: जीन पियाजे ने बच्चों द्वारा स्वयं से बात करने को ‘आत्मकेंद्रित वाक्’ (Egocentric Speech) कहा और इसे संज्ञानात्मक अपरिपक्वता का संकेत माना। उनका मानना था कि यह सामाजिक संपर्क की कमी का परिणाम है। इसके विपरीत, लेव वायगोत्स्की ने बच्चों द्वारा स्वयं से बात करने को ‘निजी वाक्’ (Private Speech) कहा और इसे आत्म-विनियमन (self-regulation) और समस्या-समाधान का एक महत्वपूर्ण उपकरण माना। वायगोत्स्की के अनुसार, निजी वाक् संज्ञानात्मक विकास का एक परिपक्व संकेत है।