137. लेखनस्य प्रक्रियोपागम: (Process approach to writing) इत्यस्य कीदृशा: स्तरा: भवेयु: ?
1. (i) रूपरेखालेखनम् (outlining), (ii) प्रथमप्रारूपलेखनम् (writing first draft), (iii) अन्तिमप्रारूप लेखनम् (writing the final draft)
2. (i) विचाराणां सङ्ग्रह (outlining ideas), (ii) सम्पादनम् (editing), (iii) प्रारूपनिर्माणम् (drafting), (iv) अन्तिमप्रारूपलेखनम् (writing the final draft)
3. (i) रूपरेखालेखनम् (outlining), (ii) प्रारूपनिर्माणम् (drafting), (iii) सम्पादनम् (editing), (iv) अन्तिमप्रारूपलेखनम् (writing the final draft)
4. (i) योजना (ज्त्aहहग्हु), (ii) प्रारूपनिर्माणम् (drafting), (iii) पुन: प्रारूपनिर्माणम् (iii) सम्पादनम् (editing), (iv) अन्तिमप्रारूपलेखनम् (writing the final draft)
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लेखन प्रक्रिया के उपागम में रूप रेखा लेखन, प्रारूप निर्माण सम्पादन और अन्तिम प्रारूप लेखन स्तर के होने चाहिए। रूपरेखा लेखन–यह लेखन भाषण का वह सारांश होता है जो आमतौर पर शीर्षक और उपशीर्षक में विभाजित सूची के रूप में होती है, जो मुख्य बिन्दुओं को सहायक बिन्दुओं से अलग करती है। प्रारूप निर्माण–किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा कोई पत्र या सूचना लिखा जाता है तो उससे पहले उस पत्र या सूचना को कच्चा रूप में तैयार कर लिया जाता है, पत्र या सूचना का वह कच्चा रूप ही प्रारूप कहलाता है। सम्पादन–किसी लेख या कविता के पाठ, भाषा, भाव या क्रम को व्यवस्थित करके तथा आवश्यकतानुसार उसमें संशोधन, परिवर्तन या परिवर्धन करके इसे सार्वजनिक प्रयोग के योग्य बना देना ही सम्पादन कहलाता है। अन्तिम प्रारूप लेखन- प्रारूप में मुख्य विषय-वस्तु के निरूपण के बाद निष्कर्ष के रूप में अन्तिम बात को संक्षेप में लिखना ही अन्तिम प्रारूप लेखन कहलाता है। इसका भी लेखन कार्य में अपना एक प्रबल महत्त्व है।