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भारत में उनके अक्षरों का कोई सानी नहीं था। वाइसराय के नाम जाने वाले गाँधी जी के पत्र हमेशा महादेव की लिखावट में जाते थे। उन पत्रों को देख-देखकर दिल्ली और शिमला में बैठे वायसराय लम्बी साँस-उसाँस लेते रहते थे। भले ही उन दिनों ब्रिटिश सल्तनत पर कहीं सूरज न डूबता हो, लेकिन उस सल्तनत के छोटे बादशाह को भी गाँधी जी के सेक्रेटरी के समान खुशनवीश कहाँ मिलता था? बड़े-बड़े सिविलियन और गवर्नर कहा करते थे कि सारी ब्रिटिश सर्विसों में महादेव के समान अक्षर लिखने वाला कहीं खोजने पर भी मिलता नहीं था। पढ़ने वालों को मंत्रमुग्ध करने वाला शुद्ध और सुंदर लेखन। महादेव के हाथों के लिखे गए लेख, टिप्पणियाँ, पत्र, गाँधीजी के व्याख्यान, प्रार्थना, प्रवचन, मुलाकातें, वार्तालापों पर लिखी गई टिप्पणियाँ, सब कुछ फुलस्केप के चैथाई आकार वाली मोटी अभ्यास पुस्तकों में लम्बी लिखावट के साथ, जेट की सी गति से लिखा जाता था। वे शॅार्टहैंड जानते नहीं थे।
बड़े-बड़े देशी-विदेशी राजपुरुष, राजनीतिज्ञ, देश-विदेश के अग्रगण्य समाचार पत्रों के प्रतिनिधि, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के संचालक, पादरी, ग्रंथकार आदि गाँधीजी से मिलने आते थे। ये लोग खुद या इनके साथी संगी भी गाँधीजी के साथ बातचीत को शॅार्टहैंड में लिखा करते थे।
भारत में उनके अक्षरों का कोई सानी नहीं था। वाइसराय के नाम जाने वाले गाँधी जी के पत्र हमेशा महादेव की लिखावट में जाते थे। उन पत्रों को देख-देखकर दिल्ली और शिमला में बैठे वायसराय लम्बी साँस-उसाँस लेते रहते थे। भले ही उन दिनों ब्रिटिश सल्तनत पर कहीं सूरज न डूबता हो, लेकिन उस सल्तनत के छोटे बादशाह को भी गाँधी जी के सेक्रेटरी के समान खुशनवीश कहाँ मिलता था? बड़े-बड़े सिविलियन और गवर्नर कहा करते थे कि सारी ब्रिटिश सर्विसों में महादेव के समान अक्षर लिखने वाला कहीं खोजने पर भी मिलता नहीं था। पढ़ने वालों को मंत्रमुग्ध करने वाला शुद्ध और सुंदर लेखन। महादेव के हाथों के लिखे गए लेख, टिप्पणियाँ, पत्र, गाँधीजी के व्याख्यान, प्रार्थना, प्रवचन, मुलाकातें, वार्तालापों पर लिखी गई टिप्पणियाँ, सब कुछ फुलस्केप के चैथाई आकार वाली मोटी अभ्यास पुस्तकों में लम्बी लिखावट के साथ, जेट की सी गति से लिखा जाता था। वे शॅार्टहैंड जानते नहीं थे।
बड़े-बड़े देशी-विदेशी राजपुरुष, राजनीतिज्ञ, देश-विदेश के अग्रगण्य समाचार पत्रों के प्रतिनिधि, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के संचालक, पादरी, ग्रंथकार आदि गाँधीजी से मिलने आते थे। ये लोग खुद या इनके साथी संगी भी गाँधीजी के साथ बातचीत को शॅार्टहैंड में लिखा करते थे।
93. राजपुरुष में समास हैः
1. कर्मधारय
2. द्वंद
3. अव्ययीभाव
4. तत्पुरुष
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Answer – (4)