146. निम्नलिखितप्रयोगै: श्रवणोद्देश्ये किं कार्यं सिद्धयति– ‘भाषणश्रवणम्’, लेखनम्, अनुकरणम्, श्रुतलेखनम्
1. परस्परं सम्पर्कस्य उद्देश्यम्
2. वार्तालापीय-उद्देश्यम्
3. परस्परं व्यवहार-उद्देश्यम्
4. विचारपरकं उद्देश्यम्
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Answer – (3)
परस्पर व्यवहार का उद्देश्य श्रवण के उद्देश्य कार्य को सिद्ध करता है। श्रवण कर उद्देश्य दूसरे के द्वारा किये गये उच्चारण को सुनकर शुद्ध उच्चारण का अनुकरण करना शुद्ध सामग्री का अर्थ समझने की योग्यता विकसित करना। वक्ता के मनोभावों को समझने में निपुण बनाना। ध्वनियों का विभेदीकरण करने की क्षमता विकसित करना। श्रवण कौशल को विकसित करने के लिए उपयुक्त प्रणाली व्याख्या प्रणाली है। इस प्रणाली में बच्चे मौखिक भाषा को सुनकर उसके अर्थ एवं भाव को समझने की क्रिया में निपुण बनते हैं।
परस्पर व्यवहार का उद्देश्य श्रवण के उद्देश्य कार्य को सिद्ध करता है। श्रवण कर उद्देश्य दूसरे के द्वारा किये गये उच्चारण को सुनकर शुद्ध उच्चारण का अनुकरण करना शुद्ध सामग्री का अर्थ समझने की योग्यता विकसित करना। वक्ता के मनोभावों को समझने में निपुण बनाना। ध्वनियों का विभेदीकरण करने की क्षमता विकसित करना। श्रवण कौशल को विकसित करने के लिए उपयुक्त प्रणाली व्याख्या प्रणाली है। इस प्रणाली में बच्चे मौखिक भाषा को सुनकर उसके अर्थ एवं भाव को समझने की क्रिया में निपुण बनते हैं।