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चिड़िया तू जो मगन, धरा मगन, गगन मगन
फैला ले पंख ज़रा, उड़ तो सही, बोली पवन।
अब जब हौंसले से, घोंसले से आई निकल
चल बड़ी दूर, बहुत दूर, जहां तेरे सजन।
वृक्ष की डाल देखें
जंगल-ताल दिखें
खेतों में झूम रही
धान की बाल दिखें
गाँव-देहात दिखें, रात दिखे, प्रात दिखे
खुल कर घूम यहाँ, यहाँ नहीं घर की घुटन
चिड़िया तू जो मगन….
फैला ले पंख ज़रा, उड़ तो सही, बोली पवन।
अब जब हौंसले से, घोंसले से आई निकल
चल बड़ी दूर, बहुत दूर, जहां तेरे सजन।
वृक्ष की डाल देखें
जंगल-ताल दिखें
खेतों में झूम रही
धान की बाल दिखें
गाँव-देहात दिखें, रात दिखे, प्रात दिखे
खुल कर घूम यहाँ, यहाँ नहीं घर की घुटन
चिड़िया तू जो मगन….
102. प्रकृति से जुड़े किस उपादान की बात पद्यांश में नहीं की गई है-
1. पेड़-पौधे
2. धान के खेत
3. गाँव-देहात
4. चाँद-सूरज
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Answer – (4)