147. भारत के संविधान की प्रस्तावना न्याय की गारंटी देती है । इसका तात्पर्य है कि भारत अपने जनमानस को अनुमति देता है
(A) अपने प्रतिनिधियों के निर्वाचन की
(B) कुछ मूल अधिकार रखने की
(C) निर्णय निर्माण में भागीदारी की
(D) उपर्युक्त में से एक से अधिक
(E) उपर्युक्त में से कोई नहीं
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उत्तर : (B) कुछ मूल अधिकार रखने की
कारण: BPSC – The Preamble of the Constitution guarantees Justice, which included certain basic rights. (संविधान की प्रस्तावना न्याय की गारंटी देती है, जिसमें कुछ मौलिक अधिकार शामिल होते हैं।)
भारत के संविधान की प्रस्तावना ‘न्याय’ की बात करती है, जो सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय को शामिल करता है। संविधान का भाग III मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) प्रदान करता है, जो नागरिकों को समानता, स्वतंत्रता और अन्य अधिकारों की गारंटी देते हैं। ये अधिकार न्याय सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और राज्य द्वारा उल्लंघन के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करते हैं। प्रतिनिधियों का निर्वाचन (A) और निर्णय निर्माण में भागीदारी (C) राजनीतिक न्याय के पहलू हैं, लेकिन मूल अधिकार (B) सीधे तौर पर न्याय की गारंटी से सबसे अधिक निकटता से संबंधित हैं क्योंकि वे व्यक्तियों को राज्य की मनमानी कार्रवाई के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करते हैं और न्यायपालिका द्वारा प्रवर्तनीय हैं।
कारण: BPSC – The Preamble of the Constitution guarantees Justice, which included certain basic rights. (संविधान की प्रस्तावना न्याय की गारंटी देती है, जिसमें कुछ मौलिक अधिकार शामिल होते हैं।)
भारत के संविधान की प्रस्तावना ‘न्याय’ की बात करती है, जो सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय को शामिल करता है। संविधान का भाग III मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) प्रदान करता है, जो नागरिकों को समानता, स्वतंत्रता और अन्य अधिकारों की गारंटी देते हैं। ये अधिकार न्याय सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और राज्य द्वारा उल्लंघन के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करते हैं। प्रतिनिधियों का निर्वाचन (A) और निर्णय निर्माण में भागीदारी (C) राजनीतिक न्याय के पहलू हैं, लेकिन मूल अधिकार (B) सीधे तौर पर न्याय की गारंटी से सबसे अधिक निकटता से संबंधित हैं क्योंकि वे व्यक्तियों को राज्य की मनमानी कार्रवाई के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करते हैं और न्यायपालिका द्वारा प्रवर्तनीय हैं।
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