गद्यांश पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करेंगद्यांश छुपाने के लिए यहाँ क्लिक करें
निर्देश: नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए:
आग के इस लोकानुग्रही रूप का विग्रह अलाव भी है, जो न केवल शीत दूर करने का माध्यम है बल्कि लोक की सामूहिक चेतना का प्रतीक भी है I अलाव से ही जुड़े हैं नेह-छोह के अदृश्य बंधन जिनके पाश में बँधा हुआ था समूचा गाँव। जैसे-जैसे बदलाव ने पाँव पसारे हैं, अलाव अब प्राय: स्मृति की चीज बनता जा रहा है। गाँव जो अलाव के पास बैठकर अपने-अपने दुख-सुख बाँटता था वह अब शहराता जा रहा है I समय के साथ-साथ हमारे प्रेम और अपनत्व के दायरे सिमटते जा रहे हैं I शहरों से आयातित शहरीपन गाँव की नस-नस में समाता जा रहा है। दुमुँहापन आज की सबसे बड़ी आवश्यकता बनता जा रहा है। ऐसे में चौपाल पर अलाव के इर्द-गिर्द बैठकर इकहरे मन से बातें भला किसे रुचे I
94. ‘वह अब शहराता जा रहा है’, लेखक ने रेखांकित शब्द को किस भाव के लिए लिखा है?
1. आधुनिक होने का भाव
2. सामूहिकता समाप्त होने का भाव
3. शहर में बस जाने का भाव
4. सभ्य एवं आधुनिक होने का भाव Click To Show AnswerClick To Hide Answer