पद्यांश पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिएः
कौन, तुम रूपसि कौन?
व्योम से उतर रही चुपचाप,
छिपी निज छाया में आप,
सुनहला फैला केश-कलाप
मधुर, मंथर मृदु, मौन!
मूँद अधरों में मधुपालाप
मौन केवल तुम मौन
ग्रीव तिर्यक्, चम्पक द्युति गात,
नयन मुकुलित नतमुख जलजात
देह छवि छाया में दिन-रात,
कहाँ रहती तुम कौन?
कौन, तुम रूपसि कौन?
व्योम से उतर रही चुपचाप,
छिपी निज छाया में आप,
सुनहला फैला केश-कलाप
मधुर, मंथर मृदु, मौन!
मूँद अधरों में मधुपालाप
मौन केवल तुम मौन
ग्रीव तिर्यक्, चम्पक द्युति गात,
नयन मुकुलित नतमुख जलजात
देह छवि छाया में दिन-रात,
कहाँ रहती तुम कौन?
103. मधुर, मंथर, मौन ये विशेषण है:
1. रात्रि के
2. रात्रि में चलने वाली वायु के
3. प्रकृति के
4. रूपसि के
Click To Show Answer
Answer – (4)