145. ‘‘हास्येन विना कक्षा अतिनीरसं स्थानम् अस्ति। मन्दं मन्दं हास्यं पाठने सहायकम् अस्ति’’। अनेक कथनेन किं संकेतितम् अस्ति ?
1. अध्यापकस्य छात्रान् विनियोजनगुण:
2. अध्यापनविधि:
3. कक्षापरिवेश:
4. बालकस्य प्रकृतेज्र्ञानम्
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Answer -(1)
हास्य के विना कक्षा अति नीरस स्थान है। मन्द मन्द हास्य पठन में सहायक है। इस कथन से अध्यापक और छात्रों में विनियोजन गुण का संकेत हो रहा है। बच्चों के शरीर एवं मन-मस्तिष्क में जान फूंकने तथा होठों पर मुस्कान लाने के लिए शिक्षक को निपुण एवं ऊर्जावान् होना जरूरी है। किसी भी कक्षा को संचालित करने के लिए हास्य बहुत जरूरी होता है अन्यथा कक्षा का वातावरण नीरस हो जाता है। शिक्षक और शिक्षार्थी पठन कार्य के प्रति उदासीन हो जाते हैं।
हास्य के विना कक्षा अति नीरस स्थान है। मन्द मन्द हास्य पठन में सहायक है। इस कथन से अध्यापक और छात्रों में विनियोजन गुण का संकेत हो रहा है। बच्चों के शरीर एवं मन-मस्तिष्क में जान फूंकने तथा होठों पर मुस्कान लाने के लिए शिक्षक को निपुण एवं ऊर्जावान् होना जरूरी है। किसी भी कक्षा को संचालित करने के लिए हास्य बहुत जरूरी होता है अन्यथा कक्षा का वातावरण नीरस हो जाता है। शिक्षक और शिक्षार्थी पठन कार्य के प्रति उदासीन हो जाते हैं।