143. यदा विभिन्नस्वनिमा:(स्वरध्वनय: व्यञ्जनध्वनय: वा) अर्थयुक्तजगदांशं निर्मातुं विशिष्टार्थं आहरणाय परस्परेण संयुक्ता: भवन्ति, तदा इदं भवति–
1. रूपिम: (Morpheme)
2. लेखिम: (Grapheme)
3. अक्षरम् (Syllable)
4. उपस्वन: (Allophone)
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Answer – (3)
जब विभिन्न स्वर और व्यञ्जन ध्वनियों का अर्थयुक्त जगत अंश के निर्माण के लिए विशिष्ट अर्थ को ले करके परस्पर संयुक्त होते हैं, तब वह ‘अक्षर’ होता है। एक या अधिक व्यञ्जनों और एक स्वर के मेल से अक्षर बनता है।
जब विभिन्न स्वर और व्यञ्जन ध्वनियों का अर्थयुक्त जगत अंश के निर्माण के लिए विशिष्ट अर्थ को ले करके परस्पर संयुक्त होते हैं, तब वह ‘अक्षर’ होता है। एक या अधिक व्यञ्जनों और एक स्वर के मेल से अक्षर बनता है।