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निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिएः
कहते हैं कि कुटिलता छोटी हो या बड़ी, वह नैतिक पतन और चारित्रिक गिरावट की तरफ ही धकेलती है। किसी भी अवगुण को छोटा मान अपने अंदर बर्दाश्त करते रहना घातक होता है। महापुरुषों ने बार-बार इस तरफ चेताया है कि आत्म निरीक्षण, आत्मज्ञान हममें होना ही चाहिए। हमें अपनी कमजोरियों का पता लगाते रहना चाहिए और उनसे पीछा छुड़ाने का प्रयास भी लगातार जारी रखना चाहिए। बेकार का अहंकार नहीं पालना चाहिए। बड़प्पन ऐसे ही हासिल नहीं हो जाता है। एक साधारण इंसान असाधारण बनता ही तब है जब वह आंतरिक मूल्यांकन से होकर गुजरता है और अपने आस-पास हर किसी के लिए सहानुभूति और करुणा का भाव रखता है। सोच और संस्कार की गड़बड़ी हमें खुद अपनी तारीफ करने की ओर ले जाती है।
कहते हैं कि कुटिलता छोटी हो या बड़ी, वह नैतिक पतन और चारित्रिक गिरावट की तरफ ही धकेलती है। किसी भी अवगुण को छोटा मान अपने अंदर बर्दाश्त करते रहना घातक होता है। महापुरुषों ने बार-बार इस तरफ चेताया है कि आत्म निरीक्षण, आत्मज्ञान हममें होना ही चाहिए। हमें अपनी कमजोरियों का पता लगाते रहना चाहिए और उनसे पीछा छुड़ाने का प्रयास भी लगातार जारी रखना चाहिए। बेकार का अहंकार नहीं पालना चाहिए। बड़प्पन ऐसे ही हासिल नहीं हो जाता है। एक साधारण इंसान असाधारण बनता ही तब है जब वह आंतरिक मूल्यांकन से होकर गुजरता है और अपने आस-पास हर किसी के लिए सहानुभूति और करुणा का भाव रखता है। सोच और संस्कार की गड़बड़ी हमें खुद अपनी तारीफ करने की ओर ले जाती है।
92. आत्मज्ञान तथा आत्मनिरीक्षण क्यों आवश्यक है?
1. अपने गुणों का पता लगाने के लिए
2. अपने चरित्र का पता लगाने के लिए
3. समाज में अपनी छवि का पता लगाने के लिए
4. अपनी कमजोरियों का पता लगाने के लिए
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Answer – (4)