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दिए गए पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
बीती नहीं यद्यपि अभी तक है निराशा की निशा-
है किन्तु आशा भी कि होगी दीप्त फिर प्राची दिशा।
महिमा तुम्हारी ही जगत में धन्य आशे! धन्य है,
देखा नहीं कोई कहीं अवलम्ब तुम सा धन्य है।
आगे तुम्हारे ही भरोसे जी रहे हैं हम सभी,
सब कुछ गया पर हाय रे! तुमको न छोड़ेंगे कभी।
आगे तुम्हारे ही सहारे टिक रही हैं यह मही,
धोखा न दीजो अंत में, विनती हमारी है यही।
बीती नहीं यद्यपि अभी तक है निराशा की निशा-
है किन्तु आशा भी कि होगी दीप्त फिर प्राची दिशा।
महिमा तुम्हारी ही जगत में धन्य आशे! धन्य है,
देखा नहीं कोई कहीं अवलम्ब तुम सा धन्य है।
आगे तुम्हारे ही भरोसे जी रहे हैं हम सभी,
सब कुछ गया पर हाय रे! तुमको न छोड़ेंगे कभी।
आगे तुम्हारे ही सहारे टिक रही हैं यह मही,
धोखा न दीजो अंत में, विनती हमारी है यही।
101. कवि ने आशा को धन्य क्यों कहा है? क्योंकि-
1. आशा निराशा में नहीं बदलती है।
2. आशा सभी के मन में विराजती है।
3. आशा का सहारा सबसे बड़ा सहारा है।
4. आशा हर दिशा को प्रकाशित करती है।
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Answer – (3)