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निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिएः
भारतेंदु जी के जीवन का उद्देश्य अपने देश की उन्नति के मार्ग को साफ-सुथरा और लम्बा-चैड़ा बनाना था। उन्होंने इसके काँटों और कंकड़ों को दूर किया। उसके दोनों ओर सुन्दर क्यारियाँ बनाकर उसमें मनोरम फल-फूलों के वृक्ष लगाए। इस प्रकार उसे सुरम्य बना दिया कि भारतवासी उस पर आनन्दपूर्वक चलकर अपनी उन्नति के इष्ट स्थान तक पहुँच सकें। यद्यपि भारतेंदु जी ने अपने लगाए हुए वृक्षों को फल-फूलों से लदा नहीं देखा फिर भी हमें यह कहने में किसी प्रकार का संकोच नहीं होगा कि वे जीवन के उद्देश्य में पूर्णतया सफल हुए। हिन्दी भाषा और साहित्य में जो उन्नति आज दिखाई पड़ रही है उसके मूल कारण भारतेंदुजी हैं और उन्हें ही इस उन्नति के बीज को रोपित करने का श्रेय प्राप्त है।
भारतेंदु जी के जीवन का उद्देश्य अपने देश की उन्नति के मार्ग को साफ-सुथरा और लम्बा-चैड़ा बनाना था। उन्होंने इसके काँटों और कंकड़ों को दूर किया। उसके दोनों ओर सुन्दर क्यारियाँ बनाकर उसमें मनोरम फल-फूलों के वृक्ष लगाए। इस प्रकार उसे सुरम्य बना दिया कि भारतवासी उस पर आनन्दपूर्वक चलकर अपनी उन्नति के इष्ट स्थान तक पहुँच सकें। यद्यपि भारतेंदु जी ने अपने लगाए हुए वृक्षों को फल-फूलों से लदा नहीं देखा फिर भी हमें यह कहने में किसी प्रकार का संकोच नहीं होगा कि वे जीवन के उद्देश्य में पूर्णतया सफल हुए। हिन्दी भाषा और साहित्य में जो उन्नति आज दिखाई पड़ रही है उसके मूल कारण भारतेंदुजी हैं और उन्हें ही इस उन्नति के बीज को रोपित करने का श्रेय प्राप्त है।
96. ‘बीज को रोपित करना’ से अभिप्राय है:
1. कार्य का शुभारम्भ करना।
2. मार्ग प्रशस्त करना।
3. सही सलाह देना।
4. फसल बोने की तैयारी करना।
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Answer -(1)