139. सर्वे बालका: शिक्षणस्य गम्भीरप्रयत्नेन विनैव मातृभाषां शिक्षन्ति। एतत् कथ्यते–
1. अन्त: प्रेरणात्मकभाषा-योग्यता
2. भाषा-अधिगम:
3. सहजातभाषायोग्यता
4. स्वाभाविकभाषायोग्यता
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Answer – (3)
सभी बालकों को बिना गम्भीर प्रयत्न से ही मातृभाषा में शिक्षण प्रक्रिया अपनानी चाहिए, जिसे हम सहजातभाषा योग्यता की संज्ञा देते हैं। बच्चे अपनी मातृभाषा को अपनाकर अपनी सहजात भाषिक क्षमता और परिवार तथा आसपास के लोगों से अन्त: क्रिया का अनुभव लेकर जब बच्चे स्कूल आते हैं तो उनमें अपनी भाषा या कई मामलों में अनेक भाषाओं का संवाद करने की क्षमता विकसित होती है।
सभी बालकों को बिना गम्भीर प्रयत्न से ही मातृभाषा में शिक्षण प्रक्रिया अपनानी चाहिए, जिसे हम सहजातभाषा योग्यता की संज्ञा देते हैं। बच्चे अपनी मातृभाषा को अपनाकर अपनी सहजात भाषिक क्षमता और परिवार तथा आसपास के लोगों से अन्त: क्रिया का अनुभव लेकर जब बच्चे स्कूल आते हैं तो उनमें अपनी भाषा या कई मामलों में अनेक भाषाओं का संवाद करने की क्षमता विकसित होती है।