147. वैयाकरणिकरूपस्य ज्ञानम् तस्य प्रयोगश्च कथ्यते–
1. घोषणात्मकम् (Declarative) ज्ञानम्
2. भाषाविषयकं ज्ञानम्
3. भाषावैज्ञानिक-व्याकरणम्
4. प्रक्रियात्मकम्-ज्ञानम्
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Answer – (4)
व्याकरण का ज्ञान और उसके प्रयोग को ही प्रक्रियात्मक ज्ञान कहते हैं। व्याकरण शिक्षण की प्रणाली निम्नलिखित रूपों में होती है–(1) निगमन विधि (2) आगमन विधि (3) सहयोग विधि (4) सूत्र विधि। व्याकरण शिक्षण की मुख्य विधि आगमन निगमन विधि है। निगमन विधि उस विधि को कहते हैं, जिसमें सामान्य से विशिष्ट अथवा सामान्य नियम से विशिष्ट उदाहरण की ओर बढ़ा जाता है। आगमन विधि उस विधि को कहते हैं जिसमें विशेष तथ्यों के निरीक्षण तथा विश्लेषण द्वारा सामान्य नियमों अथवा सिद्धांतों का निर्माण किया जाता है। इस विधि में ज्ञात से अज्ञात की ओर, विशिष्ट से सामान्य की ओर तथा मूर्त से अमूर्त की ओर शिक्षण सूत्रों का प्रयोग किया जाता है।
व्याकरण का ज्ञान और उसके प्रयोग को ही प्रक्रियात्मक ज्ञान कहते हैं। व्याकरण शिक्षण की प्रणाली निम्नलिखित रूपों में होती है–(1) निगमन विधि (2) आगमन विधि (3) सहयोग विधि (4) सूत्र विधि। व्याकरण शिक्षण की मुख्य विधि आगमन निगमन विधि है। निगमन विधि उस विधि को कहते हैं, जिसमें सामान्य से विशिष्ट अथवा सामान्य नियम से विशिष्ट उदाहरण की ओर बढ़ा जाता है। आगमन विधि उस विधि को कहते हैं जिसमें विशेष तथ्यों के निरीक्षण तथा विश्लेषण द्वारा सामान्य नियमों अथवा सिद्धांतों का निर्माण किया जाता है। इस विधि में ज्ञात से अज्ञात की ओर, विशिष्ट से सामान्य की ओर तथा मूर्त से अमूर्त की ओर शिक्षण सूत्रों का प्रयोग किया जाता है।