140. संस्कृतभाषां पाठयन् शिक्षक: अपेक्षां न करोति यत् छात्र:-
1. विद्यालये कक्षायां, गृहे, समाजे वा स्वविचारान् संस्कृतभाषायां प्रकटयेत्।
2. संस्कृतभाषामाध्यमेन सरलकथनानि कुर्यात्।
3. समुचितविरामचिह्नानां शुद्धाक्षराणां प्रयोगं कृत्वा संस्कृतभाषां पठनीयां सङ्गतिपूर्णां च लिखेत्।।
4. सम्बोधनानां, प्रार्थनानां, अभिवादनादीनां च उत्तरं संस्कृतभाषया दद्यात्।
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Answer -(1)
संस्कृत भाषा पढ़ाने वाले शिक्षक की अपने छात्रों से यह अपेक्षा नहीं रहती है कि उसके छात्र विद्यालय में, कक्षा में, घर में अथवा समाज में अपने विचारों को संस्कृत भाषा में प्रकट करे। प्राथमिक अथवा माध्यमिक स्तर के छात्रों को संस्कृत भाषा में अपने विचार प्रस्तुत करने की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए क्योंकि अभी वो प्राथमिक स्तर पर हैं। अपने भावों संस्कृत भाषा में प्रकट करना, उच्च शिक्षा में ही सफल हो सकता है।
संस्कृत भाषा पढ़ाने वाले शिक्षक की अपने छात्रों से यह अपेक्षा नहीं रहती है कि उसके छात्र विद्यालय में, कक्षा में, घर में अथवा समाज में अपने विचारों को संस्कृत भाषा में प्रकट करे। प्राथमिक अथवा माध्यमिक स्तर के छात्रों को संस्कृत भाषा में अपने विचार प्रस्तुत करने की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए क्योंकि अभी वो प्राथमिक स्तर पर हैं। अपने भावों संस्कृत भाषा में प्रकट करना, उच्च शिक्षा में ही सफल हो सकता है।